ज्येष्ठ माह का आखिरी बड़ा मंगलवार आज बोलो जय श्री राम, जय हनुमान

ज्येष्ठ के महीने में पड़ने वाला बड़ा मंगल हर भक्त के लिए बेहद खास होता है. इस महीने चार बड़े मंगलवार होते हैं. ज्येष्ठ माह का आखिरी बड़ा मंगलवार 2 जून यानी आज है.

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार श्रीराम से हनुमान जी की पहली मुलाकात ज्‍येष्‍ठ माह में मंगल के दिन ही हुई थी, इसीलिए बड़ा मंगल मनाया जाता है. आइए इसी कड़ी में जानते हैं कि हनुमान के 7 सबसे प्राचीन मंदिर कौन से हैं

राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर नामक स्थान है. यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई-बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है. दो पहाड़ि‍यों के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहते हैं.

हनुमानजी का यह मंदिर राजस्थान के चुरू जिले में है. गांव का नाम सालासर है, इसलिए सालासर वाले बालाजी के नाम से यह मंदिर प्रसिद्ध है. हनुमानजी की यह प्रतिमा दाढ़ी व मूंछ से सुशोभित है. हनुमान भक्त यहां दूर-दराज से उनके दर्शन करने आते हैं.

धर्म ग्रंथों के अनुसार अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है. यहां का सबसे प्रमुख श्रीहनुमान मंदिर हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है. इसमें 60 सीढ़ियां चढ़ने के बाद श्रीहनुमानजी का मंदिर आता है.

उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थित है और सीतापुर से हनुमान धारा की दूरी तीन किलोमीटर है. पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर के पास दो जल के कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है. इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं.

यहां महाभारत कालीन श्री हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है. यहां पर उपस्थित हनुमान जी स्वयम्भू हैं. बालचन्द्र अंकित शिखर वाला यह मंदिर आस्था का महान केंद्र है. दिल्ली का ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जो यमुना नदी के तट पर पांडवों द्वारा महाभारत-काल में बसाया गया था.

पुणे के गणेशपेठ में स्थित यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. श्रीडुल्या मारुति का मंदिर 350 वर्ष पुराना है. पत्थर का बना यह मंदिर बहुत ही आकर्षक और भव्य है.

मूल रूप से डुल्या मारुति की मूर्ति एक काले पत्थर पर अंकित की गई है. हनुमानजी की इस मूर्ति की दाईं ओर श्रीगणेश भगवान की एक छोटी सी मूर्ति स्थापित है.

तमिलनाडु के कुम्बकोनम नामक स्थान पर श्री पंचमुखी आंजनेयर स्वामी जी (श्री हनुमान जी) का बहुत ही मनभावन मठ है. यहां पर श्री हनुमान जी की ‘पंचमुख रूप’ में विग्रह स्थापित है, जो अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है.

माना जाता है कि हनुमान जी ने अहिरावण और महिरावण का वध करने के लिए पंचमुख रूप धारण किया था. मान्‍यता है कि प्रभु के इस रूप के दर्शन सारे संकट और बंधन दूर करते हैं.

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