कर्नल तारा ने मौत के मुंह से बचाई थी, वर्तमान बांग्लादेश PM जान

कर्नल तारा ने मौत के मुंह से बचाई थी, वर्तमान बांग्लादेश PM जान

 नई दिल्ली : 1971 का भारत पाकिस्तान का युद्ध वैसे तो कई मायने में महत्वपूर्ण है लेकिन इस लड़ाई में भारत के शूरवीरों की बहादुरी के क़िस्से भी एक से बढ़कर एक हैं। इन्हीं में से एक नाम है कर्नल अशोक तारा। इन्होंने अपनी बहादुरी और कुशल रणनीति की बदौलत शेख़ हसीना और उनके परिवार को पाकिस्तानी सैनिकों के चंगुल से सकुशल छुड़वा लिया था। अशोक तारा को इस बात का थोड़ा भी एहसास नहीं था कि वो बांग्लादेश के भविष्य की प्रधानमंत्री की जान बचा रहे हैं।

Colonel Ashok Tara

पाकिस्तानी कमांडर के कब्जे में था शेख हसीना का परिवार

जब 1971 कि लड़ाई में 93,000 पाकिस्तानी फौज ने सरेंडर कर दिया तो उसके एक दिन के बाद कर्नल तारा अपने 3 जूनियर्स स्टाफ के साथ जीप पर बैठ कर गस्त के लिए निकले थे। तभी उन्हें एक लोकल व्यक्ति से जानकारी मिली कि धानमंडी के एरिया में एक परिवार को पाकिस्तानी सैनिकों ने बंधक बना रखा है  वे किसी भी वक़्त उनकी हत्या कर सकते है। यह इलाका ढाका एयरपोर्ट से 20 किलोमीटर की दूरी पर था। 

Bangladesh

जाबाज अशोक तारा ने इस परिवार को बचाने की कोशिश में जुट गए। जब तारा अपने तीन सैनिकों के साथ धानमंडी इलाके की तरफ गए तो वहां पर भारी भीड़ जमा थी। तब उन्हें मालूम हुआ कि पाकिस्तानी सैनिकों ने शेख मुजीबुर रहमान के परिवार को बंधक बना रखा है। तारा ने बिना वक्त गवाए अपने तीनों सैनिकों को वहीं रुकने का आदेश देते हुए बिना हथियार के ही उस मकान में घुस गए जहां पाकिस्तानी सैनिक आर्म्स के साथ मौजूद थे। सैनिकों ने तारा के ऊपर आर्म्स सटाकर ये कहा था कि तुम यहां से चले जाओ वर्ना मारे जाओगे।

Colonel Ashok Tara

तारा बने थे देवदूत

पाकिस्तानी फौज नहीं जानते थे कि पाकिस्‍तान की सेना भारतीय सेना के सामने हार मान चुकी है। रहमान के घर के बाहर मौजूद जवानों को कहा गया था कि किसी भी तरह का खतरा होते ही रहमान के पूरे परिवार को खत्‍म कर दिया जाए। ऐसे में तारा ने अपनी जान की परवाह किये बिना ही पाकिस्तानी सैनिक के सामने खड़े हो गए। अशोक तारा पाकिस्तानी फौज से पंजाबी में बात करके समझाने लगे। क्योंकि पाक फौज का कमांडर पंजाबी भाषा में बात कर रहा था। 

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आखिरकार अशोक तारा यह बताने में सफल हो पाए कि यदि वह रहमान के परिवार को वहां से सकुशल जाने देते हैं तो सभी पाकिस्‍तानी जवानों की सकुशल उन्हें उनके घर भेज दिया जाएगा। तब जाकर हसीना के परिवार की जान बची और आज बांग्लादेश का यह साही परिवार अशोक तारा को अपना भाई मानता है। शेख हसीना भी जब भारत आई थी तो उन्होंने अशोक तारा के किस्से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सुनाया था। इन्हें राजकीय समान के साथ प्रधानमंत्री निवास में भोजन के लिए आमंत्रित किया गया था।

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