हरियाणा विधानसभा बजट सत्र : किसानों के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव होना तय

किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में शुक्रवार से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस ने खट्टर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है. 12 दिनों तक चलने वाले इस सत्र हंगामेदार रहने के पूरे आसार हैं. बजट सत्र के पहले दिन ही किसानों के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव होना तय माना जा रहा है. राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य के अभिभाषण बाद विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर रखा है.

विधानसभा सत्र के दौरान पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक तीन कृषि कानूनों के विरोध में चर्चा की मांग करेंगे. इसी मुद्दे पर कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कह रही है, लेकिन इसे स्वीकार या अस्वीकार करना स्पीकर के विवेक पर निर्भर करता है. हालांकि, स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता विधानसभा नियमावली का हवाला देकर साफ कर चुके हैं कि जो विधेयक लोकसभा में पास होकर कानून बन चुका है, उस पर राज्य विधानसभा में चर्चा नहीं हो सकती.

वहीं, कांग्रेस विधायकों के द्वारा लाए जा रहे हैं प्रस्ताव को स्पीकर अगर स्वीकार करते हैं तो दस दिन के भीतर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करानी जरूरी होगी. ऐसे में कांग्रेस की ओर से खट्टर सरकार के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव को बीजेपी-जजपा गठबंधन के नेता गिराने की तैयारी का दावा कर रहे हैं. बजट सत्र की शुरुआत से पहले ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार ने विपक्ष के हाथ से कई बड़े मुद्दे छीन लिए हैं.

प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में हरियाणा के युवाओं को 75 फीसदी रोजगार की गारंटी, अदालत में विवादित भर्तियों की नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करने, अवैध रूप से शराब की बिक्री व जहरीली शराब से हुई मौतों की जांच कमेटियों की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए मुख्य सचिव वियववर्धन के नेतृत्व में कमेटी का गठन ऐसे मुद्दे हैं, जिनका समाधान गठबंधन की सरकार पहले ही कर चुकी है.

इसके बावजूद किसानों के मुद्दे पर विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर बहस होने के आसार हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस की ओर से कृषि कानून में संशोधन कर उसमें किसान के लिए एमएसपी की गारंटी का प्रावधान जोड़ने के लिए कांग्रेस की तरफ से एक प्राइवेट मेंबर्स बिल को सत्र में लाने की तैयारी की गई है.

बता दें कि हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं, जिनमें से दो सीटें खाली है. मौजूदा विधानसभा में सदस्यों की संख्या देखें तो 88 है, जिनमें 40 बीजेपी, 30 कांग्रेस, सात निर्दलीय,10 जेजेपी विधायक और एक हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा है. ऐसे में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो खट्टर सरकार को 45 विधायकों का समर्थन जुटाना होगा. बीजेपी-जेजेपी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से बनी सरकार के पास 55 विधायकों का समर्थन हासिल था, लेकिन फिलहाल आठ विधायक सरकार से अपनी नाराजगी जता चुके हैं.

हालांकि, जेजेपी के 6 विधायक कृषि कानून के खिलाफ हैं और समर्थन दे रहे दो निर्दलीय विधायक भी अब सरकार का साथ छोड़ चुके हैं. इस तरह से 8 विधायक सरकार के खिलाफ हो गए हैं, जिसके बाद खट्टर सरकार के समर्थन में विधायकों की संख्या फिलहाल 47 की संख्या हो रही है. ऐसे में देखना है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रस्ताव लाते हैं तो उनके साथ कितने विधायक खड़े होते हैं और कितने विरोध में रहते हैं.

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