हमारे आदर्श, हमारी परंपरा, हमारी प्रेरणा, जितनी प्राचीन है, उतनी ही नवीन भी होनी चाहिए: PM मोदी

मैं भाजपा के कार्यकर्ताओं से आग्रह करूंगा कि हर इकाई पांच दिन या सात दिन का एक विशेष सत्र तय करें, जो विद्वान लोग हैं उनको बुलाएं। हमारी जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है उसे अध्ययन करने की जरूरत है। अध्ययन करने के बाद हम भी समाज में जाकर इसके लाभ समाज में पहुंचाएं।

राष्ट्र हित में जो योजनाएं बनाई गई हैं उन्हें लोगों तक पहुंचाना है। हमें अपने सामाजिक दायित्व को सजगता से निभाना है। अगर कोरोना के इस कालखंड की ही बात करें, तो दो गज की दूरी, मास्क, हाथ की साफ-सफाई, इन सभी के लिए जागरूकता फैलाना, निरंतर जरूरी है। हमें खुद भी इन नियमों का सख्ती से पालन करना है और दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करना है।

हमारे आदर्श, हमारी परंपरा, हमारी प्रेरणा, जितनी प्राचीन है, उतनी ही नवीन भी होनी चाहिए। हम भले ही दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल हों लेकिन हमारी पहुंच भारत के छोटे से छोटे गांव तक, छोटी से छोटी गली तक होनी ही चाहिए।

समाज की सेवा में सक्रियता दिखाने के साथ-साथ, दल के रूप में, कार्यकर्ता के रूप में, हमें एक और बात का विशेष ध्यान रखना है। हमारी बातें, हमारे विचार, हमारा आचरण, 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप ही होने चाहिए।

देश के सामान्य मानव को जब हमारी बहुत ज्यादा जरूरत थी, तब हमने अपने राष्ट्रव्यापी नेटवर्क की ताकत हमारे देश के लोगों की सेवा में लगा दी। शहर हो या गांव हर जगह भाजपा कार्यकर्ताओं ने लोगों की मदद की और आज भी कर रहे हैं।

बदलते हुए समय में बहुत कुछ तेजी से बदल रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस दौर में जिस तरह की फ्लेक्सिबिलिटी और एडॉप्टेबिलिटी दिखाई है, वो भी प्रशंसनीय है। कोरोना काल में भी हमने ये कर दिखाया है।

भाजपा की हर सरकार चाहे वो केंद्र में हो या राज्य में हो, वो यही प्रयास कर रही है कि समाज के सभी को सही अवसर मिले, कोई खुद को छूटा हुआ महसूस न करे। हमारा वैचारिक तंत्र और राजनीतिक मंत्र, साफ है, गोलमोल नहीं है, हमने उसको जीकर दिखाया है। हम लोगों के लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। नेशन फर्स्ट यही हमारा मंत्र है, यही हमारा कर्म है।

गरीब हो, किसान हो, श्रमिक हो, महिलाएं हों, ये सभी आत्मनिर्भर भारत के मजबूत स्तंभ हैं। इसलिए, इनका आत्मसम्मान और आत्मगौरव ही, आत्मनिर्भर भारत की प्राण-शक्ति है और प्रेरणा हैं। इनको सशक्त करते ही भारत की प्रगति संभव है।

आत्मनिर्भरता के व्यापक मिशन से हर कोई जुड़े, सभी को अवसर मिले। यही तो दीनदयाल जी का सपना पूरा करने का प्रयास है। इसी ध्येय के साथ एससी-एसटी वर्ग के साथियों के लिए जो आरक्षण का प्रावधान है, उसको हमारी सरकार ने संसद में अगले 10 वर्ष के लिए बढ़ाया है।
किसानों, खेत मजदूरों, छोटे दुकानदारों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन और बीमा से जुड़ी योजनाएं हमारी सरकार ने पहले ही आरंभ कर दी हैं। अब नए प्रवधानों से सामाजिक सुरक्षा का ये कवच और मजबूत होगा।

अब ठेका मजदूरी के स्थान पर एक फिक्स्ड टर्म के रोजगार का भी विकल्प दिया गया है। ऐसे श्रमिकों को रेग्युलर कर्मचारी की तरह ही वेतन मिलेगा। वेलफेयर से जुड़ी दूसरी योजनाओं का लाभ मिलेगा और उन्हीं की ही तरह काम के घंटे भी फिक्स होंगे।

किसानों, श्रमिकों और महिलाओं की ही तरह छोटे-छोटे स्वरोजगार से जुड़े साथियों का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा था, जिसकी सुध कभी नहीं ली गई। रेहड़ी, पटरी, फेरी पर काम करने वाले लाखों साथी जो आत्मसम्मान के साथ अपने परिवार भरण-पोषण करते हैं, उनके लिए भी पहली बार एक विशेष योजना बनाई गई है। लाखों रेहड़ी-पटरी वाले साथियों को बैंक से सीधे 10 हजार रुपये का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
जो पहले के श्रमिक कानून थे, वो देश की आधी आबादी, हमारी महिला श्रमशक्ति के लिए काफी नहीं थे। अब इन नए कानूनों से हमारी बहनों को, बेटियों को, समान मानदेय दिया गया है, उनकी ज्यादा भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है।

निर्माण से जुड़े श्रमिकों के लिए एक कानून, खेत से जुड़े श्रमिकों के लिए दूसरा कानून। पत्रकारिता से जुड़े कामगारों के लिए एक कानून, फिल्म उद्योग के क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक साथियों के लिए अलग कानून। ऐसे अनेक कानून थे।

किसानों की तरह ही हमारे यहां दशकों तक देश के श्रमिकों को भी कानून के जाल में उलझाकर रखा गया है। जब-जब श्रमिकों ने आवाज उठाई, तब-तब उनको कागज पर एक कानून दे दिया गया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि विभिन्न क्षेत्रों के लिए न्यूनतम मजदूरी के लगभग 10,000 स्लैब मौजूद थे। काफी प्रयासों के बाद ये 200 स्लैब में सिमट गए हैं।

भाजपा सरकार ने जो काम किया है, अब भाजपा के हर कार्यकर्ता को इन कानून की बातों को किसान साथियों के साथ बैठकर बिलकुल सरल भाषा में बताना है। किसानों को कर्ज लेने की मजबूरी से बाहर निकालने के लिए हमने एक अहम काम पूरी ताकत से शुरू किया है। अब दशकों बाद किसान को अपनी उपज पर सही हक मिल पाया है।

हमारे प्रयासों से देश के किसानों को बहुत मदद मिली है। कृषि में जो सुधार किए हैं उसका सबसे ज्यादा लाभ छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा। कृषि विधेयक से छोटे किसानों को और अधिक लाभ होगा।

किसानों से जिन्होंने हमेशा झूठ बोला है वो लोग इन दिनों अपने राजनीतिक स्वार्थ की वजह से किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे हैं। किसानों को भ्रमित करने में लगे हैं, ये लोग अफवाहें फैला रहे हैं।

यूपीए सरकार के पिछले छह साल में किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा किसानों को करीब 20 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया था। भाजपा सरकार के पांच वर्ष में किसानों को लगभग 35 लाख करोड़ रुपये किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से दिए गए हैं।

सरकार ने इस बात का भी प्रयास किया है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड हो, उन्हें खेती के लिए आसानी से कर्ज उपलब्ध हो। पहले सिर्फ उसी किसान को किसान क्रेडिट का लाभ मिलता था जिसके पास दो हेक्टेयर जमीन हो। हमारी सरकार इसके दायरे में देश के हर किसान को ले आई है।

बीते सालों में ये निरंतर प्रयास किया गया है कि किसान को बैंकों से सीधे जोड़ा जाए। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में कुल एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए जा चुके हैं।

भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने निरंतर इस स्थिति को बदलने का काम किया है। पहले लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय किया, उसमें रिकॉर्ड बढ़ोतरी की और रिकॉर्ड सरकारी खरीद भी सुनिश्चित की।

किसानों को ऐसे कानूनों में उलझाकर रखा गया, जिसके कारण वो अपनी ही उपज को अपने मन मुताबिक बेच भी नहीं सकता था। नतीजा ये हुआ कि उपज बढ़ने के बावजूद किसानों की आमदनी उतनी नहीं बढ़ी। हां, उन पर कर्ज जरूर बढ़ता गया।

किसान और श्रमिक के नाम पर देश में, राज्यों में अनेकों बार सरकारें बनीं लेकिन उन्हें मिला क्या? सिर्फ वादों और कानूनों का एक उलझा हुआ जाल। एक ऐसा जाल, जिसको ना तो किसान समझ पाता था और ना ही श्रमिक।

आजादी के अनेक दशकों तक किसान और श्रमिकों के नाम पर खूब नारे लगे, बड़े बड़े घोषणा पत्र निकले। समय की कसौटी ने तय कर दिया है कि वो कितने खोखले थे, देश में अब ये देख लिया है। दीनदयाल जी कहते थे कि बड़ी-बड़ी घोषणाओं की बीच जनता के अपेक्षाएं पूरी नहीं हो रही हैं। उन्होंने कहा था- अव्यवस्था और अनाचार, अभाव और असमानताएं, असुरक्षा और असमाजिकता बढ़ती जा रही है।

आज जब देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक-एक देशवासी अथक परिश्रम कर रहा है तब गरीबों को, दलितों, वंचितों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासी, मजदूरों को उनका हक देने का बहुत ऐतिहासिक काम हुआ है।

हमारे देश के किसान, श्रमिक भाई-बहन, युवाओं, मध्यम वर्ग के हित में अनेक अच्छे और ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं। जहां-जहां राज्यों में हमें सेवा करने का मौका मिला है वहां-वहां इन्हीं आदर्शों को परिपूर्ण करने के लिए उतने ही जी जान से लगे हुए हैं।

आज से ही देश के ईमानदार करदाताओं के हितों को सुरक्षा देने वाला, फेसलेस अपील का प्रावधान, भारत की टैक्स व्यवस्था से जुड़ने वाला है। ईमानदार करदाताओं को परेशानी ना हो, इसके लिए फेसलेस टैक्स सिस्टम कुछ महीने पहले ही टैक्स रिजीम का हिस्सा हो चुका है।
उस समय जब आजाद भारत के निर्माण के लिए विदेशी मॉडल को अपनाने में जोर था, तब भी दीनदयाल जी आधुनिक भारत के निर्माण के लिए भारत की मिट्टी पर, भारत के लोगों के पुरुषार्थ पर भरोसा करते रहे।

21वीं सदी के भारत को विश्व पटल पर नई ऊंचाई देने के लिए, 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, आज जो कुछ भी हो रहा है, उसमें दीन दयाल जी जैसे महान व्यक्तित्वों का बहुत बड़ा आशीर्वाद है।

पंडित दीनदयाल जी की यह जयंती और भी अधिक प्रासंगिक है क्योंकि हाल के दिनों में सरकार ने जो सुधारवादी फैसलों लिए हैं उनमें उनके द्वारा दिखाए गए दर्शन की छाप थी।

एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में, भारत को बेहतर बनाने के लिए दीनदयाल जी ने जो योगदान दिया है, वो पीढ़ियों को प्रेरित करने वाला है। ये दीनदयाल जी ही थे जिन्होंने भारत की राष्ट्रनीति, अर्थनीति और समाजनीति, इन तीनों को भारत के अथाह सामर्थ्य के हिसाब से तय करने की बात मुखरता से कही थी, लिखी थी।

मुझे कोरोना काल में सेवाभाव कर रहे कार्यकर्ताओं से बातचीत करने का अवसर मिला। देश के अलग-अलग कोने पर कैसे पार्टी के कार्यकर्ता खप गए, गरीब से गरीब की जरूरत के लिए जिस प्रकार से वो दौड़ते रहे, एक-एक घटना बहुत ही प्रेरक थी।

आज हमारे बीच, ऐसे कम ही लोग हैं जिन्होंने दीनदयाल जी को जीते जी देखा हो, सुना हो या उनके साथ काम किया हो। उनका स्मरण, उनके बताए रास्ते, उनका दर्शन, जीवन प्रति पल हमें पावन करता है, प्रेरणा देता है, ऊर्जा से भर देता है।

दूसरों की मदद करते हुए अनेकों कार्यकर्ता स्वयं भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। हमारे जिन साथियों ने अपनी जीवन लीला समाज की सेवा करते-करते समाप्त की है, मैं आज उन सभी दिवंगत साथियों को आदरपूर्वक अंजली देता हूं। मैं भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता को उनके सेवाभाव, परिश्रम के लिए आदरपूर्वक नमन करता हूं।

देशभर में फैले भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ताओं को श्रद्धेय दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने जो हमें मार्ग दिखाया है, उस रास्ते पर हम पूरे समर्पित भाव से हम आगे बढ़ पाएं।

 

 

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