‘स्टेचू ऑफ़ यूनिटी’ को देखने खिंचे चले आएंगे सैलानी, केवडिया के दिन फिरने वाले हैं

दुनिया के नक्शे पर अब तक गुमनाम रहने वाले केवडिया के दिन फिरने वाले हैं। दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति को अपनी आगोश में समेटे केवडिया का नाम आज हर किसी की जुबान पर है। आजादी के बाद अलग-अलग हिस्सों में बंटी देश की रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने वाले देश के पहले गृह मंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल अब केवडिया और उसके आस पास के लोगों के लिए उम्मीद की किरण बने हैं।

सरदार सरोवर बांध से महज चंद किलोमीटर दूर साधू हिल पर लगी उनकी मूर्ति और आस-पास के क्षेत्रों के विकास से पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। अनुमान लगाया जा रहा है कि रोजाना तकरीबन 10 हजार सैलानी सरदार पटेल की मूर्ति को देखने आएंगे। मोदी सरकार ने दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्थापित करने के साथ ही पूरे क्षेत्र को टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित किया है।

गुजरात से वडोदरा शहर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस जगह को लेकर अभी से देश और दुनिया के लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए सरदार की मूर्ति तो आकर्षण का केंद्र होगी ही, 17 किलोमीटर क्षेत्र में फैली फूलों की घाटी का भी पर्यटक आनंद उठा सकेंगे। पहले चरण में इसमें से 240 हेक्टेयर क्षेत्र का विकास किया जा चुका है। एक संग्रहालय और प्रदर्शिनी हाल का भी निर्माण किया गया है, जिसमें देश के लौहपुरुष के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है।

सरदार पटेल की 180 मीटर ऊंची मूर्ति के अंदर ही एक लिफ्ट लगाई गई है जो चार मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से सैलानियों को 135 मीटर की ऊंचाई पर बने दर्शक दीर्घा तक ले जाएगी, जहां से पर्यटक पूरे इलाके के विहंगम नजारे का दीदार कर सकेंगे। लेकिन इसके लिए सैलानियों को अपनी जेबें भी ढीली करनी पड़ेगी।

मूर्ति को बाहर से निहारने के लिए हर व्यक्ति को 120 रुपये खर्च करने पड़ेंगे और जो लिफ्ट के जरिये दर्शक दीर्घा तक जाकर नजारा देखना चाहेगा उसे 350 रुपये का टिकट कटाना पड़ेगा। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास 70 हजार वर्गमीटर क्षेत्र में टेंटों का एक नगर भी बसाया गया है।

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