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विदेशी निवेशकों ने इस महीने के पहले तीन सप्ताह में भारतीय पूंजी बाजार से करीब 32,000 करोड़ रुपये की निकासी की. व्यापार मोर्चे पर जारी तनाव, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल बढ़ना इसकी वजह रही. यह आंकडा़ सितंबर महीने में प्रतिभूति बाजार से हुई कुल निकासी से भी अधिक है. सितंबर में विदेशी निवेशकों ने 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी. इससे पहले जुलाई-अगस्त में निवेशकों ने प्रतिभूति बाजार (शेयर और ऋण) में शुद्ध रूप से 7,400 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 1-19 अक्टूबर के दौरान 19,810 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और ऋण बाजार से 12,167 करोड़ रुपये की निकासी की. इस तरह एफपीआई ने कुल 31,977 करोड़ रुपये (4.3 अरब डॉलर) निकाले हैं. विदेशी निवेशक इस साल कुछ महीने को छोड़कर बाकी समय शुद्ध बिकवाल रहे.

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार मोर्चे पर बढ़ते तनाव के कारण सुस्त पड़ती विश्व अर्थव्यवस्था की चिंताओं के बीच वैश्विक बाजारों के नकारात्मक रुख से विदेशी निवेशकों ने निकासी की.

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इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मद्रा कोष (आईएमएफ) की वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 3.7 प्रतिशत रहने के अनुमान से भी निवेशकों पर निकासी का दबाव रहा.

इस साल अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 33,000 करोड़ रुपये और बांड से 60,000 करोड़ रुपये निकाले हैं. 

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