शहीद जवानों को नम आंखों से दी गई विदाई….

बिहार के शहीद संजय कुमार सिन्हा 176वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. संजय कुमार सिन्हा अपने पीछे अपने माता पिता और पत्नी बबीता देवी के अलावा दो बेटियों और एक बेटे को छोड़ गए हैं. बबीता देवी को अपनी 22 साल की बेटी रूबी और 19 साल की छोटी बेटी की शादी की चिंता सता रही है. वहीं 17 साल का बेटा सोनू अभी पढ़ रहा है.

हावड़ा, पश्चिम बंगाल के शहीद बबलू सांत्रा 35वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 39 साल के बबलू सांत्रा इस साल के आखिर में रिटायर होने वाले थे. इनके पीछे घर में उनकी पत्नी 1 साल की बच्ची और बूढ़ी मां हैं.

मंड्या, कर्नाटक के शहीद गुरु एच 82वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 7 साल पहले सीआरपीएफ में भर्ती हुए गुरु में देशभक्ति का जुनून था. इनके परिवार में मां-बाप और दो भाई हैं.

हिमाचल प्रदेश के शहीद तिलकराज 76वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. शहीद के भाई बलदेव ने चिता को मुखाग्नि दी. दो मई 1988 को जन्मे तिलक 2007 में सीपीआरएफ में भर्ती हुए थे. वो अपने पीछे पत्नी सावित्री देवी और 22 दिन का बेटा छोड़ गए हैं. तिलक दो दिन पहले ही घर से ड्यूटी पर लौटे थे.

जम्मू और कश्मीर के शहीद नसीर अहमद 76वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. नसीर अहमद के आठ वर्षीय बेटे काशिफ ने कहा कि वह सेना में भर्ती होकर अपने अब्बू की शहादत का बदला जरूर लेगा. शहीद नसीर पिछले 22 साल से सीआरपीएफ में कार्यरत थे. नसीर अपने पीछे पत्नी शाजिया अख्तर, बेटी फलक और बेटे काशिफ को छोड़ गए हैं.

महाराष्ट्र के शहीद नितिन शिवाजी कांस्टेबल पद पर तैनात थे. बुल्ढाना जिला के लोणार तालुका चोरपांगरा गांव के नितिन शिवाजी के घर में उनकी पत्नी वंदना राठौड़, बेटा जीवन, बेटी जीविका, मां सावित्री बाई, पिता शिवाजी राठौड़, भाई प्रवीण और दो बहनें हैं. वे घर में अकेले कमाने वाले थे. साल 2006 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. उनके दोनों बच्चे अभी नाबालिग हैं.

महाराजगंज, यूपी के शहीद पंकज कुमार त्रिपाठी 53वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. पंकज 2012 में सीआरपीएफ में चालक के पद पर तैनात हुए थे. 2014 में पंकज की शादी रोहिणी के साथ हुई. 2016 में उनको बेटा हुआ था. 10 दिन की छुट्टी पर आए पंकज ने जल्द लौटने का वादा किया था.

गुरदासपुर, पंजाब के शहीद मनिंदर सिंह अत्री 75वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. मनिंदर 13 फरवरी को ही छुट्टी काट कर ड्यूटी पर लौटे थे. मनिंदर के शहीद होने की खबर देर रात उनके पिता सतपाल अत्री को फोन पर मिली. मनिंदर सिंह पहले बंगलुरू में मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे. वो बास्केटबॉल के बेहद अच्छे खिलाड़ी थे. उन्होंने शादी नहीं की थी. उनका कहना था कि प्रमोशन के बाद धूमधाम से शादी करेंगे.

मध्य प्रदेश के शहीद अश्विनी कुमार काओची 35वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 36 साल के अश्वनी परिवार में सबसे छोटे थे. घर में उनकी शादी की बात चल रही थी. आखिरी बार वो नवरात्र में घर आए थे.

ओडिशा के शहीद प्रसन्न कुमार साहू 61वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. प्रसन्न कुमार साहू की शहादत पर उनकी बेटी को गर्व है. उसका कहना है कि उनके पिता का देश के लिए कुछ करने का सपना था जिसे उन्होंने पूरा कर दिया.

प्रयागराज, यूपी के शहीद महेश कुमार 118वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. शहीद महेश कुमार के पार्थिव शरीर का नरवर घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. चिता को मुखाग्नि उनके पिता राजकुमार यादव ने दी. महेश के परिवार में उनके मां-बाप, पत्नी और दो बेटे हैं.

तरनतारन, पंजाब के शहीद सुखजिंदर सिंह 76वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. किसान गुरमेज सिंह के 32 साल के बेटे सुखजिंदर सिंह अपने पीछे मां-बाप, दो भाइयों और पत्नी के अलावा एक 8 माह के बेटे को छोड़ गए हैं.

राजस्थान के शहीद रोहिताश लांबा 76वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. उनके दो माह के बटे ध्रुव से उन्हें मुखाग्नि दिलाई गई. रोहिताश के बेटे ध्रुव का जन्म 10 दिसंबर को ही हुआ था. इस दौरान केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ मौजूद रहे. रोहिताश की गुरुवार दोपहर 12 बजे ही पत्नी मंजू से बात हुई थी. उन्होंने कहा था कि अधिक ठंड की वजह से उन्होंने कुछ खाया-पिया नहीं था.

तमिलनाडु के शहीद शिवचंद्रन सी 92वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए शिवचंद्रन की शादी 2014 में गांधीमती से हुई थी. इनका दो साल का एक बेटा है. जनवरी में वो छुट्टी पर घर आए थे.

तमिलनाडु के शहीद सुब्रह्मणियम जी 82वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. पांच साल से सीआरपीएफ में भर्ती हुए सुब्रह्मणियम की डेढ़ साल पहले शादी हुई थी. वो दो साल यूपी और दो साल श्रीनगर में रह चुके थे.

उत्तरकाशी के शहीद मोहन लाल 110वीं बटालियन में एएसआई पद पर तैनात थे. शहीद मोहन लाल रतूड़ी के परिवार में पत्नी और 5 बच्चे हैं, जिनमें 2 बेटे और 3 बेटियां हैं. इनमें से तीन बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं. देहरादून के नेहरू पुरम एमडीडीए कॉलोनी, कांवली रोड पर उनका परिवार रहता है. परिवार को उनकी शहादत पर गर्व है लेकिन वो सरकार से कार्रवाई की अपील भी कर रहा है.

वाराणसी के शहीद रमेश यादव 61वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. रमेश अपने पीछे बूढ़े मा-बाप, पत्नी और एक डेढ़ साल का बेटा छोड़ गए हैं. तीन साल पहले ही वो सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. रमेश 12 फरवरी को ही छुट्टियां बिताकर ड्यूटी करने जम्मू-कश्मीर गए थे.

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