व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने खालिस्तानी समर्थक सिख फॉर जस्टिस के सदस्यों से मुलाकात की

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत की पहली यात्रा से पहले व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने खालिस्तानी समर्थक सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के सदस्यों से मुलाकात की है।

एसएफजे ही रेफरेंडम 2020 अभियान चला रही है। केंद्र सरकार ने एसएफजे को आतंकी संगठन घोषित कर इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा रखा है। इस बैठक के बाद भारत सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन कनाडा से लेकर अमेरिका तक में इस पर बहस छिड़ गई है।

केंद्रीय गुप्तचर एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक सिख फॉर जस्टिस’ के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को व्हाइट हाउस के अधिकारियों के साथ मुलाकात की। इसमें खालिस्तान समर्थक अभियान रेफरेंडम 2020 चलाने वाला पन्नू भी शामिल हुआ।
बैठक का मकसद क्या था और व्हाइट हाउस में क्या वार्ता हुई, यह साफ नहीं हो पाया लेकिन बैठक के बाद भारत की खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। ट्रंप की यात्रा से पहले एसएफजे के समर्थकों व कट्टरपंथी नेताओं पर नजर रखी जा रही है।
इस बैठक ने कनाडा और अमेरिका में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। कनाडा के जाने माने राजनीतिक विश्लेषक गुरप्रीत सिंह सहोता का कहना है कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो का भारत में विरोध हुआ था कि वह खालिस्तानी समर्थक हैं।
अब क्या भारत सरकार ट्रंप की यात्रा के दौरान इस मामले को जोर शोर से उठाएगी कि वे व्हाइट हाउस में ऐसे लोगों को क्यों बुलाते हैं, जिन्हें भारत सरकार ने बैन कर रखा है।

 भारत के एक अधिकारी का कहना है कि अमेरिकी प्रशासन को इतने महत्वपूर्ण समय पर बैठक को रद्द करना चाहिए था। यही दोनों के लिए बेहतर था। यह बैठक भारत विरोधी ताकतों को मजबूत कर सकती है।

सिख फॉर जस्टिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान कई स्थानों पर प्रदर्शन किया था। इसे भारत ने पिछले साल जुलाई में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था। एसएफजे को अमेरिका, कनाडा और यूके में कुछ कट्टरपंथी सिखों की ओर से चलाया जाता है।

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