सासन गिर के जंगल में पांच एशियाई शेरों की हालत गंभीर है। वनमंत्री गणपत सिंह वसावा ने शेरों की मौत के लिए एक वायरस को जिम्मेदार बताया है। शेरों में केनाइन डिस्टेम्पर नामक वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। सरकार ने अमेरिका से खास वैक्सीन मंगा ली है। सासन गिर के दलखानिया रेंज में 12 सितंबर से अब तक 23 शेरों की मौत हो चुकी है। करीब 25 वर्ग किलोमीटर में इन शेरों की मौत हुई, जहां प्रोटोजोआ का संक्रमण होना पाया गया है। एक दर्जन शेरों की मौत होने तक वन विभाग इसकी वजह वर्चस्व के लिए आपसी लड़ाई बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता रहा। इस बीच, अन्य शेर भी संक्रमण के शिकार हो गए। जसाधार एनिमल हेल्थ केयर सेंटर में उपचार के लिए रखे गए पांच शेरों में से दो ने बीती रात दम तोड़ दिया। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से 31 शेरों को जामवाला एनिमल हेल्थ केयर सेंटर में रखा गया है। बताया जा रहा है कि उपचार के लिए लाए गए शेरों में पांच की हालत गंभीर है। वनमंत्री गणपतसिंह वसावा ने कहा है कि शेरों की मौत के लिए वायरस जिम्मेदार है। संक्रमण के कई कारण जिम्मेदार होते हैं, लेकिन वनविभाग की कोई लापरवाही इस मामले में सामने नहीं आई है। सासन गिर में करीब 600 शेर हैं। शेरों की संख्या लगातार बढ़ने के कारण इनके विस्तार में सतत कमी हो रही है। इसके चलते जंगल के आसपास बसे गांवों तक शेरों के जाने व पालतू जानवरों को मारने की घटनाएं भी सामने आती हैं। शुरू में शेरों की मौत पर पर्दा डालने के लिए पशुमालिकों की ओर से जहर दिए जाने की आशंका भी जताई गई, लेकिन लगातार शेरों की मौत के चलते इसे छिपाया नहीं जा सका। वनमंत्री ने बताया है कि कुछ सैंपिल राज्य के बाहर की लेबोरेटरी में भी भेजे गए हैं। उधर, गुजरात हाईकोर्ट ने शेरों की मौत के लिए गैरकानूनी तरीके से जंगल में लायन शो होने को भी संक्रमण वजह माना है। कुछ माह पहले ही जंगल में शेरों को मुर्गी दिखाकर ललचाते एक वीडियो वायरल हुआ था। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट देवसी बारड बताते हैं कि केनाइन डिस्टेम्पर के कारण अफ्रीका व तंजानिया में बड़ी संख्या में शेर मरने की घटना हो चुकी है। सासन गिर में इसका संक्रमण पहली बार पाया गया है। मूल रूप से यह वायरस कुत्तों में पाया जाता है। सरकार लंबे समय से गिर जंगल से कुत्तों को हटाने का कार्यक्रम भी चला रही है, लेकिन जंगल में बसे गांवों की वजह से यह पूरी तरह नहीं हो पाया। यहां करीब दो दर्जन गांवों में गैरकानूनी लायन शो होता है। आशंका यही है कि कुत्ते की लार लगे मांस के भक्षण या कुत्तों के संपर्क में आने से शेरों में यह वायरस चला गया है।

वनमंत्री बोले, गिर के जंगल में शेरों की मौत के लिए केनाइन डिस्टेम्पर वायरस जिम्मेदार

सासन गिर के जंगल में पांच एशियाई शेरों की हालत गंभीर है। वनमंत्री गणपत सिंह वसावा ने शेरों की मौत के लिए एक वायरस को जिम्मेदार बताया है। शेरों में केनाइन डिस्टेम्पर नामक वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। सरकार ने अमेरिका से खास वैक्सीन मंगा ली है। सासन गिर के दलखानिया रेंज में 12 सितंबर से अब तक 23 शेरों की मौत हो चुकी है। करीब 25 वर्ग किलोमीटर में इन शेरों की मौत हुई, जहां प्रोटोजोआ का संक्रमण होना पाया गया है। एक दर्जन शेरों की मौत होने तक वन विभाग इसकी वजह वर्चस्व के लिए आपसी लड़ाई बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता रहा। इस बीच, अन्य शेर भी संक्रमण के शिकार हो गए।सासन गिर के जंगल में पांच एशियाई शेरों की हालत गंभीर है। वनमंत्री गणपत सिंह वसावा ने शेरों की मौत के लिए एक वायरस को जिम्मेदार बताया है। शेरों में केनाइन डिस्टेम्पर नामक वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। सरकार ने अमेरिका से खास वैक्सीन मंगा ली है। सासन गिर के दलखानिया रेंज में 12 सितंबर से अब तक 23 शेरों की मौत हो चुकी है। करीब 25 वर्ग किलोमीटर में इन शेरों की मौत हुई, जहां प्रोटोजोआ का संक्रमण होना पाया गया है। एक दर्जन शेरों की मौत होने तक वन विभाग इसकी वजह वर्चस्व के लिए आपसी लड़ाई बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता रहा। इस बीच, अन्य शेर भी संक्रमण के शिकार हो गए।   जसाधार एनिमल हेल्थ केयर सेंटर में उपचार के लिए रखे गए पांच शेरों में से दो ने बीती रात दम तोड़ दिया। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से 31 शेरों को जामवाला एनिमल हेल्थ केयर सेंटर में रखा गया है। बताया जा रहा है कि उपचार के लिए लाए गए शेरों में पांच की हालत गंभीर है। वनमंत्री गणपतसिंह वसावा ने कहा है कि शेरों की मौत के लिए वायरस जिम्मेदार है। संक्रमण के कई कारण जिम्मेदार होते हैं, लेकिन वनविभाग की कोई लापरवाही इस मामले में सामने नहीं आई है। सासन गिर में करीब 600 शेर हैं। शेरों की संख्या लगातार बढ़ने के कारण इनके विस्तार में सतत कमी हो रही है। इसके चलते जंगल के आसपास बसे गांवों तक शेरों के जाने व पालतू जानवरों को मारने की घटनाएं भी सामने आती हैं। शुरू में शेरों की मौत पर पर्दा डालने के लिए पशुमालिकों की ओर से जहर दिए जाने की आशंका भी जताई गई, लेकिन लगातार शेरों की मौत के चलते इसे छिपाया नहीं जा सका। वनमंत्री ने बताया है कि कुछ सैंपिल राज्य के बाहर की लेबोरेटरी में भी भेजे गए हैं।  उधर, गुजरात हाईकोर्ट ने शेरों की मौत के लिए गैरकानूनी तरीके से जंगल में लायन शो होने को भी संक्रमण वजह माना है। कुछ माह पहले ही जंगल में शेरों को मुर्गी दिखाकर ललचाते एक वीडियो वायरल हुआ था। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट देवसी बारड बताते हैं कि केनाइन डिस्टेम्पर के कारण अफ्रीका व तंजानिया में बड़ी संख्या में शेर मरने की घटना हो चुकी है। सासन गिर में इसका संक्रमण पहली बार पाया गया है। मूल रूप से यह वायरस कुत्तों में पाया जाता है। सरकार लंबे समय से गिर जंगल से कुत्तों को हटाने का कार्यक्रम भी चला रही है, लेकिन जंगल में बसे गांवों की वजह से यह पूरी तरह नहीं हो पाया। यहां करीब दो दर्जन गांवों में गैरकानूनी लायन शो होता है। आशंका यही है कि कुत्ते की लार लगे मांस के भक्षण या कुत्तों के संपर्क में आने से शेरों में यह वायरस चला गया है।

जसाधार एनिमल हेल्थ केयर सेंटर में उपचार के लिए रखे गए पांच शेरों में से दो ने बीती रात दम तोड़ दिया। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से 31 शेरों को जामवाला एनिमल हेल्थ केयर सेंटर में रखा गया है। बताया जा रहा है कि उपचार के लिए लाए गए शेरों में पांच की हालत गंभीर है। वनमंत्री गणपतसिंह वसावा ने कहा है कि शेरों की मौत के लिए वायरस जिम्मेदार है। संक्रमण के कई कारण जिम्मेदार होते हैं, लेकिन वनविभाग की कोई लापरवाही इस मामले में सामने नहीं आई है। सासन गिर में करीब 600 शेर हैं। शेरों की संख्या लगातार बढ़ने के कारण इनके विस्तार में सतत कमी हो रही है। इसके चलते जंगल के आसपास बसे गांवों तक शेरों के जाने व पालतू जानवरों को मारने की घटनाएं भी सामने आती हैं। शुरू में शेरों की मौत पर पर्दा डालने के लिए पशुमालिकों की ओर से जहर दिए जाने की आशंका भी जताई गई, लेकिन लगातार शेरों की मौत के चलते इसे छिपाया नहीं जा सका। वनमंत्री ने बताया है कि कुछ सैंपिल राज्य के बाहर की लेबोरेटरी में भी भेजे गए हैं।

उधर, गुजरात हाईकोर्ट ने शेरों की मौत के लिए गैरकानूनी तरीके से जंगल में लायन शो होने को भी संक्रमण वजह माना है। कुछ माह पहले ही जंगल में शेरों को मुर्गी दिखाकर ललचाते एक वीडियो वायरल हुआ था। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट देवसी बारड बताते हैं कि केनाइन डिस्टेम्पर के कारण अफ्रीका व तंजानिया में बड़ी संख्या में शेर मरने की घटना हो चुकी है। सासन गिर में इसका संक्रमण पहली बार पाया गया है। मूल रूप से यह वायरस कुत्तों में पाया जाता है। सरकार लंबे समय से गिर जंगल से कुत्तों को हटाने का कार्यक्रम भी चला रही है, लेकिन जंगल में बसे गांवों की वजह से यह पूरी तरह नहीं हो पाया। यहां करीब दो दर्जन गांवों में गैरकानूनी लायन शो होता है। आशंका यही है कि कुत्ते की लार लगे मांस के भक्षण या कुत्तों के संपर्क में आने से शेरों में यह वायरस चला गया है।

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