ये थे आजाद भारत के सबसे अमीर महाराजा, भगवान राम के हैं वंशज

आज ही के दिन जयपुर के महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह का जन्म हुआ था. जयपुर के महाराज रहने के बाद उन्होंने भारतीय सेना में सेवाएं दीं और उन्हें कई उपाधियों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. आइए जानते हैं भवानी सिंह के बारे में, जिन्हें भगवान राम के वंशज भी कहा जाता है….

भारत में वैसे तो कई बड़े राजघराने हैं और कई महाराजा भी हैं, लेकिन जयपुर राजघराना ऐसा भी है, जो खुद को भगवान राम का वंशज बताता है. यही नहीं, इस बात का खुलासा उन्होंने अपनी ऑफिशियल साइट पर भी किया है. कहा जाता है कि जयपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह भगवान राम के बेटे कुश के 309वें वंशज थे. यह बात राजघराने के कई लोगों ने स्वीकार भी की है.

महाराजा सवाई भवानी सिंह 24 जून 1970 से 28 दिसम्बर 1971 तक जयपुर के महाराजा रहे. फिर इसके बाद उन्होंने भारतीय सेना में सेवा की और उनको महावीर चक्र से सम्मानित किया गया और उनको रिटायर्ड होने के बाद उन्हें ब्रिगेडियर के पद से सम्मानित किया गया.

महाराज भवानी सिंह, जयपुर घराने के महाराजा सवाई मानसिंह और जोधपुर घराने की मरुधर के बेटे हैं, जो उनकी पहली पत्नी थी. भवानी सिंह के कोई बेटा नहीं है और उनकी बेटी दीया कुमारी राजस्थान के सवाई माधोपुर से विधायक हैं.

 

दीया कुमारी की शादी नरेंद्र सिंह से हुई. उन्हें दो बेटे पद्मनाभ और लक्ष्यराज सिंह हैं. वहीं एक बेटी गौरवी हैं.  भवानी सिंह के बाद 2011 में वारिस के तौर पर पद्मनाभ सिंह का राजतिलक हुआ जबकि लक्ष्यराज 2013 में गद्दी पर बैठे थे.

कहा जाता है कि भवानी सिंह आजादी के बाद सबसे अमीर महाराजा थे. खास बात यह है कि जयपुर में कई पीढ़ियों बाद भवानी सिंह के रुप में पुरुष वारिस का जन्म हुआ था और जयपुर के जितने भी महाराजा हुए थे उनको गोद लेकर महाराजा बनाया गया था.

उन्होंने भारतीय सेना में कई साल सेवा की थी. उन्होंने 1951 से 1974 तक सेना में काम किया. इस दौरान उन्हें कई पद दिए गए और कई विशेष कार्यों के लिए चुना गया. ‘ऑपरेशन पवन’ के दौरान वो राजीव गांधी के आग्रह पर श्रीलंका गए थे. इसके बाद इन्हें ब्रिगेडियर पद से नवाजा गया.

कांग्रेस की ओर से उन्होंने राजनीति में कदम रखा, लेकिन सफल नहीं हो पाए. उन्हें लोकसभा चुनाव में गिरधारी लाल भार्गव से चुनाव हारना पड़ा और उन्होंने राजनीति से संन्यास लिया. महाराजा सवाई भवानी सिंह जी को 20 मार्च, 2011 गुड़गांव, के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.

उनके कई अंग खराब हो गए थे इस वजह से 17 अप्रैल, 2011 को हॉस्पिटल में ही उनका निधन हो गया था. महाराजा सवाई भवानी सिंह जी अपनी मृत्यु के समय 79 साल के थे.

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