ये उम्मीदें बजट से कृषि, रक्षा, ऑटो, और हेल्थ सेक्टर को है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को बजट पेश करेंगी। बजट से एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। इस बजट से जनता को कई उम्मीदें हैं। आर्थिक जानकारों का मानना है कि केंद्र में स्थिर सरकार के गठन के साथ सरकार को अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह उम्मीद की जा रही है कि 2019 का आगामी पूर्ण बजट इस साल फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में घोषित कई घोषणाओं को और मजबूती प्रदान करेगा।

बजट 2019 की तैयारी शुरू हो चुकी है, आर्थिक मंदी को देखते हुए नई सरकार के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। औद्योगिक और विनिर्माण उत्पादन में गिरावट, कार और टू व्हीलर की बिक्री में धीमी रफ्तार भी एक प्रमुख चिंता है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा सरकार और बैंकिंग नियामक में चल रही नकदी की कमी को भी दूर करना चाहिए।

कॉरपोरेट टैक्स में टैक्स की सीमा 25% बढ़ाई जा सकती है। फिलहाल जिन फार्मों का राजस्व 250 करोड़ से कम है उनपर 25% टैक्स लगता है, इसे 250 से बढ़ाकर 500 करोड़ किया जा सकता है। हालांकि, सरकार ने हाल ही में एंजेल टैक्स के नियमों से स्टार्ट-अप्स को कुछ राहत दी है, लेकिन उद्योग जगत को यह लगता है कि यह अपर्याप्त है और बजट में आगे और राहत दी जा सकती है।

कृषि

कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है, लेकिन इसमें समय लगेगा। हालांकि, निकट अवधि में तनाव को कम करने के लिए और ज्यादा घोषणा होने की संभावना है। अंतरिम बजट में एक आय सहायता योजना की घोषणा की गई थी, जिसे अब सभी किसानों के लिए बढ़ा दिया गया है। बजट में कुछ अन्य उपायों पर गौर किया जा सकता है, जैसे फसल बीमा योजना में बदलाव साथ ही कृषि कर्ज में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है।

ग्रामीण बुनियादी ढांचे और सिंचाई खर्च में वृद्धि पर ध्यान दिया जा सकता है। इसके अलावा कोल्ड चेन पर खर्च और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने की संभावना है।

इंफ्रास्ट्रक्चर

सरकार भारतमाला, सागरमाला, किफायती आवास, स्वच्छता और पानी की जरूरतों जैसी प्रमुख फ्लैगशिप पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकती है। इसके अलावा रेलवे की बात करें तो यात्री सुरक्षा, नियोजित विद्युतीकरण की तरह आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।

ऑटो

भारतीय ऑटो उद्योग में लंबे समय बाद बिक्री में कमी आई है। ऑटो इंडस्ट्री की मांग थी कि जीएसटी को 28% की वर्तमान दर से घटाकर 18% किया जाए। लोकल मैन्युफैक्चरिंग का समर्थन करने के उद्देश्य से पूरी तरह से आयातित कमर्शियल वाहनों (सीवी) पर सीमा शुल्क 25% से 40% तक बढ़ाया जा सकता है।

इसके अलावा प्रदूषण फैलाने वाली और असुरक्षित पुराने वाहनों को सड़कों से हटाया जा सकता है। सड़क में बुनियादी ढांचे के निवेश से कमर्शियल वाहन बनाने वाली कंपनियों की बिक्री में बढ़ावा हो सकता है।

स्वास्थ्य देखभाल

मोदी सरकार की प्रमुख योजना आयुष्मान भारत पर दूसरे कार्यकाल में भी जोर दिया जाएगा। सरकार आयुष्मान भारत या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को बेहतर करने के लिए स्वास्थ्य बजट पेश करने और इसे बढ़ाने का प्रस्ताव रख सकती है। अस्पतालों में बेड की व्यवस्था पर काम किया जा सकता है, कम से कम 100 बिस्तरों वाले अस्पताल के निर्माण पर फोकस रहेगा।

डिफेंस

पूंजी अधिग्रहण के लिए एक उच्च बजटीय आवंटन की उम्मीद की जा रही है। विशेष रक्षा निवेश भत्ते की घोषणा, विशेष रक्षा विनिर्माण और टैंकों के विनिर्माण, बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों, रक्षा विमानों, अंतरिक्ष यान, युद्धपोतों, हथियारों और सभी प्रकार के गोला बारूद और उसके उपयोग के अन्य सामानों के निर्माण पर फोकस किया जा सकता है।

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