‘मैं और मेरी पार्टी शिवसेना आडवाणी जी, मुरली मनोहर जोशी जी को बधाई देते है: संजय राउत

छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में ढांचा विध्वंस किए जाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे भारतीय न्यायपालिका के इतिहास का दुखद दिन करार दिया है। दूसरी तरफ, शिवसेना ने इस फैसला स्वागत किया है।

असदुद्दीन ओवैसी ने, ‘आज का दिन भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक दुखद दिन है। अब, अदालत का कहना है कि कोई साजिश नहीं थी। कृपया मुझे बताएं, किसी कार्रवाई को सहज होने के लिए कितने दिनों और महीनों की तैयारी की आवश्यकता होती है?’

हैदराबाद सांसद ने कहा, ‘सीबीआई अदालत द्वारा निर्णय भारतीय न्यायपालिका के लिए एक काला दिन है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस विवाद को लेकर कहा था कि ये विवाद ‘कानून का अहंकारी उल्लंघन’ और ‘पूजा के सार्वजनिक स्थान को नष्ट करने करने का मामला’ है।’

ओवैसी ने कहा, ‘यह न्याय का मुद्दा है और यह सुनिश्चित करने का मुद्दा है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदार लोगों को दोषी ठहराया जाना चाहिए। लेकिन उन्हें (इस मामले में आरोपी बनाए गए लोग) अतीत में गृह मंत्री और मानव संसाधन मंत्री बनाकर पुरस्कृत किया गया है। इस मुद्दे के कारण भाजपा सत्ता में है।’

ओवैसी ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘जिस अभियुक्त भगवान गोयल ने अदालत के बाहर यह स्वीकार किया कि हां उसने बाबरी का विध्वंस किया। लेकिन वह अदालत के अंदर बाइज्जत बरी हो जाते हैं।’ इससे पहले, ओवैसी ने अदालत के इस फैसले के बाद तंज कसते हुए एक शेर ट्वीट किया, ‘वही कातिल वही मुंसिफ अदालत उस की वो शाहिद बहुत से फैसलों में अब तरफदारी भी होती है।’

शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने कहा, ‘फैसले में कहा गया कि विध्वंस एक साजिश और परिस्थितियों का परिणाम नहीं था, यह अपेक्षित निर्णय था। हमें उस एपिसोड को भूलना चाहिए। अगर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त नहीं किया गया होता तो हमने राम मंदिर के लिए कोई भूमि पूजन नहीं देखा होता।’ राउत ने कहा, ‘मैं और मेरी पार्टी शिवसेना, फैसले का स्वागत करते हैं और आडवाणी जी, मुरली मनोहर जी, उमा भारती जी और मामले में बरी हुए अन्य लोगों को बधाई देते हैं।’

बता दें कि, सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में ढांचा विध्वंस किए जाने के मामले में बुधवार को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.के. यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ढांचा विध्वंस की घटना पूर्वनियोजित नहीं थी। यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।

विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था। हालांकि वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान अलग-अलग कारणों से न्यायालय में हाजिर नहीं हो सके।

 

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