मुस्लिम समुदाय ईद-ए- मिलाद को पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के रूप में बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाते है

 इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार तीसरे महीने यानी रबी-उल- अव्वल की 12 तारीख को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था। इस दिन को ईद मिलाद उन नबी जिसे ईद-ए- मिलाद या फिर मालविद के नाम से जाना जाता है।

इस बार ईद मिलाद उन नबी 29 और 30 अक्तूबर के दिन मनाया जा रहा है। इस्लामी कैलेंडर के 12वीं तारीख को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म बनी हाशिम के परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था।

मुस्लिम समुदाय के लोग ईद-ए- मिलाद को पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के रूप में बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। वहीं कई लोगों का मानना है कि पैगंबर मोहम्मद साहब की मृत्यु उनके  जन्मदिन पर ही हुआ था इस कारण से कई लोग इस दिन पर दुखी भी होते हैं।

मोहम्मद साहब ने  संदेश दिया कि अल्लाह एक है और उसके सिवा कोई पूजा, अर्चना और उपासना के योग्य नहीं है। कुरान अल्लाह का अंतिम दिव्य संदेश है। हम सबको एक दिन मरने के बाद फिर जिंदा होना है और अपने पैदा करने वाले के सामने अपने कर्मों का लेखा-जोखा पेश करना होगा।

जिसके आधार पर स्वर्ग और नर्क का फैसला किया जाएगा। कुरान का यह संदेश हमें हजरत मोहम्मद के द्वारा ईश्वर ने दिया कि अल्लाह समस्त सृष्टि का रचयिता, हमारा पैदा करने वाला और पालनहार है। अल्लाह अतिकृपाशील और दयावान है। मोहम्मद साहब सारी सृष्टि के लिए और समस्त मानवता के लिए कृपाशील हैं।

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