मुजफ्फरपुर के बाद अब बिहार के और 16 शेल्टर होम की होगी CBI जांच, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

 बिहार के 16 शेल्टर होम में बच्चों के शोषण और यौन दुर्व्यवहार की शिकायतों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है. कोर्ट ने आज सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी. कोर्ट ने माना है कि बिहार सरकार जांच को लेकर गंभीर नहीं दिख रही. कल कोर्ट ने कहा था कि अगर ढंग से जांच हो तो मुजफ्फरपुर जैसे कई कांड सामने आएंगे.

क्या है मामला?
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस यानी TISS ने बिहार सरकार को 17 आश्रय गृहों में यौन दुर्व्यवहार, मारपीट, शोषण जैसी बातों की जानकारी दी थी. इसमें से मुजफ्फरपुर का मामला सीबीआई को सौंपा जा चुका है. जो 16 मामले बिहार सरकार के पास रह गए, उनमें से 4 में FIR ही दर्ज नहीं हुई. जिन मामलों में FIR दर्ज हुई, उनमें भी अपराध की गंभीरता के हिसाब से धाराएं नहीं लगाई गयी.

आज क्या हुआ?
कोर्ट ने कल इस सिलसिले में बिहार के चीफ सेक्रेट्री को तलब किया था. असहाय बच्चों के साथ हुए अपराध पर पुलिस की लापरवाही को शर्मनाक बताते हुए, कोर्ट ने गलती ‘दुरुस्त’ करने के लिए 24 घंटे का समय दिया था.

आज बिहार सरकार ने बताया कि ज़रूरी धाराएं FIR में जोड़ दी गयी हैं. कोर्ट पुलिस को जांच करने दे. जांच की निगरानी IG रैंक के अधिकारी करेंगे. एक हफ्ते में पुलिस कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करेगी. इसे देखने के बाद ही कोर्ट कोई फैसला ले.

लेकिन जस्टिस मदन बी लोकुर, दीपक गुप्ता और अब्दुल नजीर की बेंच इन बातों से संतुष्ट नजर नहीं आई. कोर्ट ने CBI के वकील से कहा कि वो कार्यवाहक निदेशक से बात कर के बताएं कि CBI जांच को तैयार है या नहीं. कुछ देर बाद वकील ने सहमति जताई. इसके बाद कोर्ट ने सभी मामले CBI को सौंप दिए.

किस तरह के मामले हैं
कोर्ट ने जिन शेल्टर होम्स को लेकर सख्त रवैया अपनाया है, वो मोतिहारी, मधेपुरा, पटना, गया, कैमूर, अररिया, भागलपुर, मुज़फ़्फ़रपुर और मुंगेर जिलों में हैं. कहीं बच्चों के साथ मारपीट की शिकायत थी, कहीं उनके यौन शोषण या अप्राकृतिक यौनाचार की शिकायतें थीं.

इन बातों की जानकारी TISS ने मई में सरकार को दे दी थी. इसके बावजूद पुलिस ने जांच को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई. कोर्ट ने टिप्पणी की, “अजीब सी बात है कि असहाय बच्चों के साथ हुए अत्याचार से किसी को फर्क नहीं पड़ रहा. कुछ लोगों के खिलाफ हल्की धाराओं में केस दर्ज कर दिया गया. किसी की गिरफ्तारी तक नहीं हुई. अब हम और इंतज़ार नहीं करेंगे. पुलिस को जो करना था, वो कर चुकी. अब CBI सारे मामले देखेगी.”

अधिकारियों के ट्रांसफर पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने CBI से सभी मामलों पर 31 जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि जांच में लगे अधिकारियों का ट्रांसफर कोर्ट की इजाज़त के बिना नहीं किया जा सकता.

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