मनमानी: 10 गुना महंगी किताबें खरीदने को मजबूर कर रहे स्‍कूल

ऑनलाइन याचिका की साइट चेंज डॉट ओआरजी पर इन दिनों अभिभावकों की एक अपील चल ही है. यह अपील उन अभिभावकों की है जो निजी स्कूलों की मनमानी से परेशान हैं. इस ऑनलाइन अपील को मिल रहा समर्थन दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है.मनमानी: 10 गुना महंगी किताबें खरीदने को मजबूर कर रहे स्‍कूल

इस अपील में कहा गया है कि सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूल एनसीईआरटी से सस्ती किताबें मुहैया कराने के बजाय बाजार से महंगी किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर कर रहे हैं. अभियान की शुरूआत करने वाले दिल्ली के आशीष अग्रवाल ने न्यूज़18 को बताया कि फर्स्ट क्लास के लिए एनसीआरटी की जो किताबें 250 से 300 रूपए में मिल जाती हैं वही किताबें बाजार में 3000-4000 रुपए में मिलती हैं. इसे खरीदने के लिए निजी स्कूल अभिभावकों पर दबाव डालते हैं.

न्यूज 18 हिन्दी की टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो आरोपों से जुड़ी चौंकाने वाली ये बातें सामने आईं.

वर्ष 2016 से ही सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूल में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाए जाने की कवायद शुरु हो गई थी. इसके लिए सीबीएसई की ओर से सभी स्कूल मैनेजर और प्रिंसिपल को पत्र भी भेज दिए गए थे. पहली बार ऐसा हुआ था कि बोर्ड ने स्कूल संचालकों से किताबों के आनलाइन ऑर्डर मांगे थे.

सीबीएसई रिसोर्स पर्सन डॉ. जगदीश शर्मा की मानें तो देशभर में सीबीएसई से मान्यता प्राप्त 18 हजार स्कूल हैं. सबसे ज्यादा दिल्ली और यूपी में हैं. एनसीईआरटी की किताबों की सप्लाई समय से और सभी स्कूल को हो जाए इसके लिए दो महीने पहले से ही एनसीईआरटी ने किताबों की छपाई शुरु कर दी थी.

इस वर्ष सीबीएसई ने क्यों उठाया ये सख्त कदम

वर्ष 2016 में सीबीएसई ने एक कमेटी बनाई थी. कमेटी का अध्यक्ष प्रोफेसर यशपाल को बनाया गया था. कमेटी अपनी रिपोर्ट बोर्ड को जमा कर चुका है. बोर्ड ने स्कूल बैग के वजन, किताबों के रेट और किताबों की संख्या के आधार पर अपनी रिपोर्ट जमा की है. जिसमें कहा गया है कि अगर स्कूल में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाती हैं तो बच्चे का स्कूल बैग तो हल्का होगा ही साथ में अभिभावकों की जेब भी हल्की होने से बच जाएगी.

बोर्ड की टीम निकलेगी स्कूल बैग का वजन जांचने

सीबीएसई रिसोर्स पर्सन डॉ. जगदीश शर्मा बताते हैं कि आने वाले 10-12 दिन बाद बोर्ड एक आदेश जारी करने जा रहा है. आदेश के अनुसार बोर्ड कुछ टीम बनाने जा रहा है. टीम कई शहरों में जाएंगी. स्कूल जाकर टीम बच्चों के स्कूल बैग का वजन जांचेगी. हर क्लास के बच्चे के स्कूल बैग के वजन का रिकॉर्ड रखा जाएगा.

एनसीईआरटी की किताबों का ये है नेटवर्क

एनसीईआरटी की बेवसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार देश के अलग-अलग हिस्सों में 46 प्रिंटर्स एनसीईआरटी की किताबें छापते हैं. स्कूल और अभिभावकों को एनसीईआरटी की किताबें आसानी से मिल जाएं इसके लिए देशभर में 680 वेंडर्स भी नियुक्त किए गए हैं.

 स्कूल 18 हजार से अधिक और किताबों के ऑर्डर मिले 1800 स्कूल से

एनसीईआरटी की पीआरओ श्वेता की मानें तो देशभर में और देश के बाहर सीबीएसई से मान्यता प्राप्त 18 हजार से अधिक स्कूल हैं. लेकिन आनलाइन ऑर्डर के अनुसार करीब 2091 स्कूल ने किताबों का ऑर्डर किया है. जिसमें से 598 स्कूल जवाहर नवोदय विद्लाय, 90 स्कूल चण्डीगढ़ प्रशासन और कुछ स्कूल सिक्किम प्रदेश के हैं. अब जरा प्राइवेट स्कूल की बात करें तो 500 से अधिक ऐसे भी प्राइवेट स्कूल हैं जिन्होंने सिर्फ चार या 10 किताबों के लिए ही ऑर्डर दिया है. एक स्कूल तो ऐसा भी है जिसने एक किताब का ऑर्डर दिया है.

बड़ी खबर: जिसके पास नहीं है पैन कार्ड वो नहीं खरीद पाएंगे सोना

होली पब्लिक स्कूल, नोयडा के मैनेजर संजय तोमर बताते हैं कि हम दो बार सीबीएसई की बेवसाइट पर जाकर किताबों के ऑर्डर बुक करा चुके हैं. लेकिन अभी तक किताबें नहीं मिली हैं. वहीं एनसीईआरटी के वेंडर्स से भी बात की तो कोई संतोषजनक जबाव नहीं मिला.

दिल्ली निवासी एक अभिभावक आशीष अग्रवाल का कहना है कि स्कूल वालों की मनमानी के चलते हम अपने बच्चे के लिए एनसीईआरटी की किताबें नहीं खरीद सकते. प्राइवेट पब्लिशर्स की क्लास एक की किताबों का जो सेट बाजार में तीन से चार हजार तक का मिल रहा है वो ही क्लास एक का सिलेबस एनसीईआरटी की ओर से 250 से 300 रुपये का मिल रहा है. स्कूल बैग और स्टेशनरी भी हमें स्कूल के नाम वाली खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com