भारत ही नहीं विदेशों में भी आखिर काला ही क्यों होता है टायर का रंग पीछे बहुत गहरा राज जानकर उड जायेगें होश…

आखिर टायर बनाने वाली कंपनी सफेद, पीला, नीला, हरा, गुलाबी या किसी और कलर का टायर क्यों नहीं बनाती है. तो हम आपको आज अआप्के इस सवाल का जवाब दें ही देते हैं. आज तक आपने भी सभी गाड़ी के टायर काले रंग के ही देखे होंगे लेकिन क्या कभी आपके मन में ये सवाल नहीं आया कि छोटे बच्चों की साइकिलों के टायर तो सफेद, लाल, पीले या दूसरे रंगों के भी होते हैं लेकिन बाकि गाड़ियों के टायर काले ही क्यों होते हैं?

आपको बता दें सिर्फ भारत ही नहीं विदेशों में भी गाड़ियों के टायर काले रंग के ही होते हैं और इसके पीछे एक बहुत गहरा राज छिपा हुआ है. आपको बता दें सभी टायर रबर के बने होते हैं और रबर का असली रंग स्लेटी होता है. इसके बाद जब टायर बनाते है तो उस समय रबड़ का रंग बदला जाता है और ये स्लेटी से काला हो जाता है. आपको बता दें टायर बनाने की प्रक्रिया को वल्कनाइजेशन कहते हैं.

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जब टायर बनाया जाता है तो उसमे रबड़ के साथ काला कार्बन भी मिलाया जाता है, जिससे रबर जल्दी नहीं घिसे. आपको बता दें सादे रबर का टायर सिर्फ 10 हजार किलोमीटर ही चल सकता है लेकिन कार्बन युक्त यर एक लाख किलोमीटर या उससे अधिक चल सकता है.

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