बड़ी खबर: राम मंदिर परिसर में राम मंदिर के साथ ही शेषावतार मंदिर, परिक्रमा पथ भी बनेगा

अयोध्या में एक तरफ भव्य श्रीराम मंदिर बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। वहीं श्रीराम मंदिर ट्रस्ट ने 70 एकड़ के श्रीराम मंदिर परिसर को भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम की मर्यादा के अनुसार बनाने की रूपरेखा तैयार कर ली है। पूरा राममंदिर परिसर राममय होने के साथ-साथ आधुनिक सुविधाओं से भी लैस होगा।

रामलला के दरबार में रामभक्तों को दिव्य दर्शन की अनुभूति होगी। एक साथ पांच हजार भक्त रामलला की परिक्रमा कर सकेंगे। परिसर में वेदशाला, यज्ञशाला, रामवन, रामम्यूजियम, रामरसोई सहित यात्री सुविधाओं का बेहतर इंतजाम भी होगा।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ परिसर के विकास के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से एक परिकल्पना तैयार की गई है। श्रीराम मंदिर परिसर को खास बनाया जा रहा है ताकि जब रामभक्त परिसर में प्रवेश करें तो उन्हें इस बात का अहसास हो कि वह श्रीराम जन्मभूमि धाम में हैं।

इसके लिए उस परिसर में कई महत्वपूर्ण निर्माण भी किये जाएंगे। इन्हीं में एक है मंदिर परिसर में प्रवेश के लिए चार भव्य द्वार। मंदिर परिसर में राम मंदिर के साथ ही परिक्रमा पथ बनेगा। सूत्रों के मुताबिक श्रद्धालु रामलला के दर्शन के बाद उनकी परिक्रमा कर सकेंगे। एक वक्त में 5,000 से अधिक श्रद्धालु एक साथ परिक्रमा कर सकेंगे। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर विकास परिकल्पना के अनुसार शेषावतार मंदिर को भी भव्य रूप दिया जाएगा। अभी ये अपूर्ण है।

श्रीराम के अनुज लक्ष्मण को शेषावतार माना जाता है यानी जहां प्रभु श्रीराम होंगे वहीं पर लक्ष्मण जी जरूर विराजेंगे। परिसर में एक वृहद यज्ञशाला भी होगी, क्योंकि सनातन परंपरा के अनुरूप यज्ञ किये जाने का विधान है। माना जाता है कि कलयुग में यज्ञ एक ऐसा साधन है जिससे मनुष्य अपने पापों के निवारण और प्रभु के समीप होने की कल्पना कर सकता है। मंदिर परिसर में एक विशाल म्यूजियम बनाया जाएगा।

परिसर विकास परिकल्पना के अनुसार इसमें प्रभु श्रीराम से जुड़े शिलालेख, पत्थर, मंदिर होने के सबूत वाली वस्तुए रखी जाएंगी। इसमे राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी यादगार वस्तुओं को भी रखे जाने की संभावना है। समतलीकरण और उत्खनन में मिले शिलालेख व पुरावशेष भी रखे जाएंगे। मंदिर निर्माण से जुड़े बड़े अधिकारियों का मानना है कि अभी हर साल लगभग 1 करोड़ तीर्थयात्री और भक्तगण अयोध्या आते हैं। ऐसे में जो भी निर्माण होगा वो अगले 50 साल को ध्यान में रखकर किया जाएगा। जाहिर है वर्षों की तपस्या, त्याग और बलिदान के बाद बन रहे श्रीराम मंदिर की भव्यता ऐसी होगी, जिसे पूरी दुनिया निहारेगी।

रामजन्मभूमि परिसर में वेदों की ऋचाएं भी गूंजेंगीं। परिसर में एक वेद पाठशाला का निर्माण होगा। यहां चारों वेदों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी। इसके लिए अच्छे से अच्छे आचार्यों की नियुक्ति की जाएगी। हालांकि इसके स्वरूप को लेकर ट्रस्ट अभी फैसला नहीं ले सका है।

अभिलेखागार, ग्रंथागार और वाचनालय भी बनाए जाने का प्रस्ताव है। श्रीराम से जुड़े लेख, किताब, और शोध सभी को यहां एकत्र कर के रखा जाएगा।  जिसमें प्रभु श्रीराम के बारे में विदेशी आक्रांताओं के समय लिखे गए ग्रंथ भी रखे जाएंगे। प्रभु श्रीराम के जीवन की झांकियों का एक परिसर बनेगा। इसमें प्रभु राम के जन्म अवतरण से लेकर अपने धाम जाने तक की हर महत्वपूर्ण घटनाओं को उकेरा और संजोया जाएगा।

भगवान का रसोई घर काफी बड़ा होने के साथ तीन हिस्सों में होगा। यहां अन्न संग्रह स्थल, प्रसाद निर्माणशाला और पात्र धुलाई स्थल भी होगा। बड़ी संख्या में आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए भोजन क्षेत्र होगा। श्रीराम मंदिर परिसर में देसी गायों का अपनी गौशाला होगी। जिसके दूध, घी और गोबर का इस्तेमाल, रामलला के पूजन और अनुष्ठानों में होगा। यहां श्रद्धालुओं के लिये धर्मशाला और विशिष्ट अतिथियों के लिये अतिथि गृह का भी निर्माण किया जाएगा।

रामजन्मभूमि परिसर में रामवन की स्थापना की जाएगी। जो रामायणकालीन वृक्षों से सुशोभित होगा। रामायण कालीन 89 प्रकार के प्रजातियों की वृक्ष रामजन्मभूमि परिसर में त्रेतायुग का अहसास कराएंगे। धूल, आंधी, तूफान से बचाने के लिए राम मंदिर परिसर की सीमा पर तीन स्तरीय वृक्षारोपण किया जाएगा। जहां के उपवन में सभी मौसम में फूल देने वाले सभी प्रकार के पौधे होंगे। वहीं पंचवटी, उद्यान, फव्वारों की भी व्यवस्था होगी।

 

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