बड़ा बदलाव: प्रांतीय सिविल सेवा में प्रदेश के अभ्यर्थियों के मुकाबले बाहरियों का दबदबा

सभी केंद्र व राज्यों की सिविल सेवाओं में उत्तर प्रदेश के छात्रों का बोलबाला रहा करता था। लेकिन इस बार यूपीपीसीएस-2018 के परिणामों से साफ है कि प्रांतीय सिविल सेवा में प्रदेश के अभ्यर्थियों के मुकाबले बाहरियों का दबदबा रहा है।

जानकारों का दावा है कि इस बार दिल्ली, हरियाणा व चंडीगढ़ के 200 से अधिक, राजस्थान से 40, तमिलनाडु से एक, बिहार से 25 और उत्तराखंड से 20 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है।

आयोग के पास राज्यवार आंकड़ा नहीं है, लेकिन 976 में से 500 के आसपास छात्र बाहर के हैं और 460 छात्र यूपी के हैं। एक बात और अहम है कि यूपी के ज्यादातर अभ्यर्थियों का चयन प्रिंसिपल, सब रजिस्ट्रार जैसे पदों पर हुआ है, जबकि अन्य राज्यों के अधिकतर अभ्यर्थियों का चयन एसडीएम, डिप्टी एसपी जैसे उच्च पदों पर हुआ है।  नतीजे से बदले पैटर्न व आरक्षण पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं हाल में पीसीएस-2019 देने वाले छात्रों में भी तमाम शंकाएं हैं।

इस बार महिलाओं को 20 फीसदी क्षैतिज आरक्षण में अन्य राज्यों की महिला अभ्यर्थियों को भी शामिल किया गया। इससे प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई और अन्य राज्यों से शामिल महिला अभ्यर्थियों के लिए अवसर बढ़े। मेरिट में शीर्ष दो स्थानों पर हरियाणा की दो महिला अभ्यर्थियों का चयन हुआ है।

छात्र हितों के लिए संघर्ष करने वाले कौशल सिंह का दावा है कि मुख्य परीक्षा में 1100 से अधिक विज्ञान के अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इनमें से 800 से अधिक ने साक्षात्कार दिया। इनमें से अधिकतर अंग्रेजी माध्यम के थे। इंटरव्यू के लिए 2669 को बुलाया गया था, जिनमें 68 अभ्यर्थी इंटरव्यू में शामिल नहीं हुए थे।

976 पदों पर चयनित अभ्यर्थियों में से आधे से अधिक अंग्रेजी माध्यम के हैं, जबकि पूर्व में इनकी संख्या 10 से 15 प्रतिशत होती थी। कुल चयनित अभ्यर्थियों में से अंग्रेजी माध्यम से 600 और हिंदी माध्यम से करीब 350 हैं।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सचिव जगदीश ने बताया कि यूपीपीसीएस अलग से ऐसा कोई आंकड़ा व सूची तैयार नहीं करता है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के कितने अभ्यर्थी चयनत हुए हैं। अभ्यर्थियों से संबंधित आंकड़े गोपनीय होते हैं।

मुख्य परीक्षा में हुए ये बदलाव
मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के पहले दो पेपर होते थे और वस्तुनिष्ठ सवाल पूछे जाते थे, लेकिन बदलावों के बाद सामान्य अध्ययन के चार पेपर कर दिए गए और सब्जेक्टिव सवाल पूछे जाने लगे।

मुख्य परीक्षा में पहले दो वैकल्पिक विषय होते थे, लेकिन पीसीएस-2018 से एक वैकल्पिक विषय कर दिया गया।
साक्षात्कार जो पहले 200 अंकों का होता था, उसे 100 अंकों का कर दिया गया।

नया पैटर्न एकदम संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर है। अन्य राज्यों को वे युवा जो संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी करते हैं, उनकी राह आसान हो गई।

हालांकि, आयोग ने अभी तक कोर्ट में यह स्पष्य नहीं किया है कि पीसीएस-2018 में स्केलिंग लागू की गई या नहीं। लेकिन परिणाम में साइंस विषय से चयनित अभ्यर्थियों की संख्या अधिक होने से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि स्केलिंग नहीं लगी है। स्केलिंग न लगने की जानकारी पहले से होती तो प्रदेश के प्रतिभागी भी ऐसे विषय मुख्य परीक्षा में रखते, जिनमें अधिक अंक प्राप्त होते हैं। मामला कोर्ट में लंबित है।

वे स्नातक करने के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की समक्ष प्राप्त करने हैं, जबकि अन्य प्रदेशों में सिविल सेवा की तैयारी करने वाले अधिकतर प्रतिभागी सीधे संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हैं। इस बार उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा प्रणाली पूरी तरह से उनके अनुकूल थी।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com