बिहार: 125 बच्चों की मौत AES से अबतक, वजह का कोई पता नहीं…

 

बिहार में अबतक Acute encephalitis syndrome, एईएस से 125 बच्चों की मौत हो चुकी है। मुजफ्फरपुर में ही 101 बच्चों की इस बीमारी से मौत हो गई है तो वहीं समस्तीपुर में पांच, मोतिहारी में पांच, पटना में एक और नवादा में भी एक बच्चे की मौत की खबर है। इतनी काफी संख्या में हुई मौत के साथ ही कई बच्चे इलाजरत हैं जिसमें से कुछ बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई है।

एईएस के कारणों का पता नहीं चल पाया है-  एईएस के कारणों को लेकर पिछले कई वर्षों से चल रहे रिसर्च का परिणाम उत्साहवर्धक नहीं रहा। अब तक किसी वायरस की पुष्टि नहीं हुई।  इन रिपोर्टों में यह कहा जाता रहा कि इंसेफलाइटिस के ज्ञात वायरस नहीं हैं। रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एईएस पीडि़त बच्चों का जायजा लिया और बताया कि बीमारी के कारणों में वायरस की जांच के लिए एसकेएमसीएच में वायरोलॉजीकल लैब को जल्द शुरू कर दिया जाएगा। यहां इसके लिए आधारभूत संरचना तैयार है। स्वास्थ्य मंत्री के एईएस के कारण में वायरस को लेकर थोड़ी सी भी आशंका पर बड़ी बहस छिड़ सकती। क्योंकि, चिकित्सक से लेकर विभाग के स्तर से वायरस की आशंका को खारिज किया जा चुका है। 

मौसम और वायरस के बीच फंसा पेच – वायरस के कारण यह बीमारी होती तो कई बच्चे महज दो से तीन घंटे में ठीक नहीं होते। उन्हें इसमें समय लगता। इनके अलावा कई चिकित्सक भी यह कारण बताते कि गांव में बच्चों के कड़ी धूप में दौडऩे से नमी के कारण काफी पसीना बहता है। गरीब परिवारों के घरों की संरचना भी ऐसी होती कि अधिक नमी होने पर पसीना बहता रहता। ऐसे में बच्चों के शरीर में शुगर व सोडियम की कमी हो जाती। इससे वह बेहोशी की अवस्था में चला जाता है। कई मामलों में ऐसे बच्चे भी इससे पीडि़त होते जो घरों से बाहर नहीं निकलते। कई ऐसे बच्चे भी इस बीमारी से पीडि़त होते जिसकी उम्र एक वर्ष भी नहीं होती। यही वह स्थिति है, जहां विशेषज्ञ बीमारी के पीछे वायरस की आशंका से भी इन्कार नहीं करते। एईएस होने की पीछे वायरस, बैक्टीरिया, फंगी एवं अन्य टोकसिंस ज़िम्मेदार होते हैं। जेई वायरस से फैलने वाला रोग होता है जिसे सामान्यता एईएस के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है। जेई वायरस के अलावा डेंगू वायरस, एंटेरो वायरस, हर्पिस वायरस एवं मिजिल्स वायरस भी एईएस फ़ैलाते हैं। इनके बावजूद 68 से 75 प्रतिशत एईएस केस में इसके होने की वजह ज्ञात नहीं हो पाती है।

बीमारी के लक्षण-   एईएस के लक्षण अस्पष्ट होते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इसमें दिमाग में ज्वर, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं होतीं हैं। शरीर निर्बल हो जाता है। बच्‍चा प्रकाश से डरता है। कुछ बच्चों में गर्दन में जकड़न आ जाती है। यहां तक कि लकवा भी हो सकता है। डॉक्‍टरों के अनुसार इस बीमारी में बच्चों के शरीर में शर्करा की भी बेहद कमी हो जाती है। बच्चे समय पर खाना नहीं खाते हैं तो भी शरीर में चीनी की कमी होने लगती है। जब तक पता चले, देर हो जाती है। इससे रोगी की स्थिति बिगड़ जाती है। 

 जानिए कैसे करें बचाव-  यह रोग एक प्रकार के विषाणु (वायरस) से होता है। इस रोग का वाहक मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो विषाणु उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। बच्चे के शरीर में रोग के लक्षण चार से 14 दिनों में दिखने लगते हैं। मच्छरों से बचाव कर व टीकाकरण से इस बीमारी से बचा जा सकता है। 

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