बिहार में लेदर कारोबार के नाम पर चल रहा था बूचड़खाना, खुलासे के बाद भड़का बवाल
बिहार में लेदर कारोबार के नाम पर चल रहा था बूचड़खाना, खुलासे के बाद भड़का बवाल

बिहार में लेदर कारोबार के नाम पर चल रहा था बूचड़खाना, खुलासे के बाद भड़का बवाल

मुजफ्फरपुर। बेला औद्योगिक क्षेत्र में एक और मांस फैक्ट्री का पर्दाफाश हुआ है। बेला फेज-2 में आलम टेनरी नामक फैक्ट्री से कच्चे मांस व मीट प्रोसेसिंग के उपकरण बरामद किए गए। मंगलवार को पुलिस व प्रशासन की विशेष टीम ने एकसाथ तीन फैक्ट्रियों में जांच-पड़ताल की।बिहार में लेदर कारोबार के नाम पर चल रहा था बूचड़खाना, खुलासे के बाद भड़का बवाल

इसमें आलम टेनरी से चार क्विंटल से अधिक मांस बरामद किए गए। पास के ही ग्रीन लेदर व एक अन्य फैक्ट्री की भी पड़ताल की गई। यहां चमड़ा व चमड़े से बने उत्पाद भारी मात्रा में बरामद होने की बात कही गई है। रविवार को अल्फा लेदर फैक्ट्री में छापेमारी के दो दिनों के अंतराल पर हुई छापेमारी से धंधेबाजों को लाभ मिल गया।

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की अधिकारी नीरू गुप्ता ने साफ कहा कि अल्फा लेदर की अपेक्षा यह बड़ी फैक्ट्री है और यहां बड़े पैमाने पर मांस तैयार करने का काम होता है। बियाडा की जमीन पर मीट प्रोसेसिंग सहित छह फैक्ट्रियां लेदर कारोबार के नाम पर चलती हैं। इसकी आड़ में लंबे समय से मांस फैक्ट्री चलाने की बात सामने आई है।

बियाडा की जमीन का इस्तेमाल अवैध रूप से मांस की फैक्ट्री चलाने में होने के सवाल पर बियाडा के अधिकारी ने कहा कि सूचना मिलने पर उन्हें नोटिस दी गई थी। उधर, फैक्ट्रियों पर छापेमारी और वहां से मांस का अवैध कारोबार चलता देख आसपास के लोगों की भारी भीड़ जुट गई। लोग प्रशासन से बेहद खफा नजर आ रहे थे। फैक्ट्रियों के अंदर घुसकर हल्ला-हंगामा करने पर उतारु भीड़ पर काबू पाने में पुलिस व प्रशासन के लोग मशक्कत करते रहे। 

प्लास्टिक के पैकेट में मांस बरामद

बताया जा रहा है कि अल्फा लेदर फैक्ट्री में छापेमारी के बाद बगल के ग्रीन लेदर फैक्ट्री वाले सतर्क हो गए। इसलिए डीप फ्रीजर के अंदर प्लास्टिक के पैक में जो मांस थे वही बरामद हो सके। छापेमारी के दौरान एडब्लूबीआइ की महिला अधिकारी दंग रह गईं। बोलीं, अल्फा फैक्ट्री से भी बड़ी फैक्ट्री है। मांस लटकाने वाले लोहे के हुक और काटने वाली जगह काफी बड़ी है। मांस काटने वाली जगह पूरी तरह साफ थी।

दो साल से पुलिस को लोग दे रहे थे सूचना

छापेमारी जैसे ही दो बजे प्रारंभ हुई, रोहुआ और बेला गांव के लोगों को पता चल गया। वे वहां जुट गए और बवाल करने लगे। उनका कहना था कि फैक्ट्री को जनता और मीडिया के सामने सील करें। दो साल से मिठनपुरा और बेला थाने को इसकी सूचना दी जा रही थी, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं की।

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