बिहार की चुनावी सियासत को जेल में कैद राजनेताओं द्वारा कंट्रोल ,कर रहे पांच धुरंधर

जिन्हें सत्ता का चस्का लगा हो, वे चुनावी सियासत से भला दूर कैसे रह सकते हैं! उनकी बदकिस्मती कहिए कि वे अभी जेल में हैं, लेकिन अपनी पहुंच-पकड़ से भरसक कोशिश कर रहे। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सहित ऐसे पांच धुरंधर हैं। लालू तो आज भी राजद के लिए रिंग मास्टर की भूमिका में हैं। महागठबंधन की सारी रणनीति उनके इर्द-गिर्द घूम रही है। कैद में होते हुए सिंबल बांट रहे हैं।
इत्तफाक यह कि लालू के तीन सिपहसालार भी अभी जेल में हैं। उनमें दो (शहाबुद्दीन और राजबल्लभ) की बीवी और एक (प्रभुनाथ सिंह) का बेटा चुनाव मैदान में हैं। पांचवें धुरंधर आनंद मोहन हैं, जिनकी अर्धांगिनी लवली आनंद शिवहर कूच करने वाली हैं। सलाखों के पीछे से पांचों धुरंधर अपने परिजनों और दलीय प्रत्याशियों की जीत का गुणा-गणित लगा रहे हैं।

लालू के इर्दगिर्द घूम रही महागठबंधन की रणनीति 
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक जेल में बंद लालू द्वारा चुनाव को कंट्रोल करने पर पर चिंता जता चुके हैं। अहम यह है कि लोकसभा चुनाव से संबंधित महागठबंधन की सारी रणनीति लालू के इर्दगिर्द ही घूम रही है। चाहे सीटों का बंटवारा हो या प्रत्याशी तय करने का मामला, लालू जेल से ही राजनीति को कंट्रोल कर रहे हैं। विवाद भी वहीं से उठता है और समाधान भी वहीं से निकलता है। चुनाव प्रचार जैसे-जैसे जोर पकड़ता जा रहा है, विवाद वैसे-वैसे तूल पकड़ रहा है। मुख्यमंत्री की शिकायत यह कि लालू जेल में रहते हुए भी राजनीति कर रहे हैं।

कुछ ऐसी ही शिकायत सिवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन, महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह, शिवहर के पूर्व सांसद आनंद मोहन और नवादा के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव से भी है। इन किरदारों की तरह चंदेश्वर प्रसाद वर्मा भी सवालों के घेरे में हैं। वे बालिका गृह कांड को लेकर विवादोंमें आई राज्य की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पति हैं।
बिहार की राजनीति का अपराध से पुराना नाता 
बिहार की राजनीति से अपराध का पुराना नाता रहा है। बहरहाल तेवर-तासीर बेशक मद्धिम हो, लेकिन लत नहीं छूटी। कभी सत्ता के गलियारे में जिनकी धमक हुआ करती थी, वे भला चुनावी मौसम में बाज कैसे आते! इसी जिद और चाहत में सलाखों के पीछे से चुनाव कंट्रोल करने की जुगत है। वैसे भी वे कहने के लिए कैदी या सजायाफ्ता हैं। जेल के भीतर भी उनके लिए ख्याल-बात है। उनका रुतबा कायम है और पहचान धूमिल नहीं हुई।
भागलपुर जेल शिफ्ट किए गए ये धुरंधर 
चुनाव प्रभावित करने की इन कैदियों की कोशिश-कवायद की आशंका के मद्देनजर ही चुनाव आयोग ने नाम कमा चुके कई धुरंधरों को भागलपुर जेल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। कुल 24 कैदी शिफ्ट किए गए। नवादा जेल से राजबल्लभ यादव बेउर, रीतलाल यादव बेउर से बेगूसराय और खगडिय़ा जेल से पांडव यादव को भागलपुर भेजा गया। गौरतलब है कि नवादा के डीएम और एसपी ने आशंका जताई थी कि स्थानीय जेल में रहते हुए राजबल्लभ चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं।
भागलपुर से नवादा को कंट्रोल कर रहे राजबल्लभ
राजद विधायक रहते हुए राजबल्लभ ने नाबालिग से दुष्कर्म किया। अदालत ने सजा सुनाई तो सदस्यता समाप्त हो गई। पिछली बार वे नवादा संसदीय क्षेत्र में गिरिराज सिंह से मात खा चुके हैं। इस बार मैदान में उनकी बीवी विभा देवी हैं। राजबल्लभ नवादा के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं। वहां की राजनीति के गुण-दोष जानते हैं। पत्नी को टिकट दिलाने के लिए वे नवादा जेल से ही दांव-पेच भिड़ाए। बाद में जिला बदर हुए। अभी भागलपुर जेल में हैं और वही से जीत की रणनीति बना रहे हैं।

लोकसभा के साथ ही नवादा विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव भी हो रहा है। लोकसभा के साथ विधानसभा की सीट भी राजद की झोली में डालने का राजबल्लभ परोक्ष रूप से वादा कर चुके हैं। लोहा से लोहा काटने की रणनीति पर अमल करते हुए राजद ने भी राजबल्लभ पर भरोसा जता दिया है।
दिल्ली से सिवान संभाल रहे शहाबुद्दीन
राजद के शासन काल में शहाबुद्दीन खौफ का दूसरा नाम हुआ करते थे। फिलहाल वे तिहाड़ जेल में बंद हैं। अदालत ने चुनाव लडऩे पर भी रोक लगा रखी है। सिवान की विरासत संभालने के लिए उनकी पत्नी हिना शहाब लोकसभा के पिछले तीन चुनाव से दांव आजमा रहीं, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई।

शहाबुद्दीन इस बार भी जेल से चुनाव कंट्रोल करते हुए पत्नी की जीत सुनिश्चित करने का जतन कर रहे। देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की धरती पर शहाबुद्दीन का नाम एक बार फिर चर्चा में है। तिहाड़ में उनसे मिलने-जुलने वालों के जरिए सिवान तक संदेश-निर्देश पहुंच रहा।
हजारीबाग जेल से प्रभुनाथ की नजर महाराजगंज पर
राजद सुप्रीमो लालू के सिपहसालार होने की वजह से एक समय बिहार की राजनीति में प्रभुनाथ सिंह का जलवा था। फिलवक्त विधायक अशोक सिंह की हत्या के जुर्म में हजारीबाग जेल में बंद हैं। प्रभुनाथ की शक्ति का सियासत में खास मौकों पर भले ही क्षरण हुआ हो, लेकिन धरातल पर प्रभाव आज भी दिखता है। 1985 में निर्दलीय विधायक और 1998 में महाराजगंज से वे पहली बार सांसद बने। भाई को तीन बार और बेटे रणधीर कुमार सिंह को भी एक बार विधायक बनवाना उनकी ताकत की ही मिसाल है। इस बार महाराजगंज सीट से रणधीर महागठबंधन के प्रत्याशी हैं। प्रभुनाथ हजारीबाग से एड़ी-चोटी का जोर लगाकर उन्हें लोकसभा में भेजने का जतन कर रहे हैं।

काल कोठरी से भी शिवहर को जांच रहीं आनंद की आंखें
गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। सहरसा जेल में उनके रात-दिन गुजर रहे। सुप्रीम कोर्ट में गुहार के बावजूद राहत नहीं मिली। उनकी पत्नी लवली आनंद शिवहर में कांग्रेस के टिकट की आस पाले बैठी थीं। महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। अब लवली निर्दलीय ही महासमर में कूदने का एलान कर चुकी हैं। समर्थक आनंद मोहन के संपर्क में हैं।

लवली पिछली बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरी थीं। उससे पहले 2009 में कांग्रेस की उम्मीदवार थीं। दोनों चुनावों में विजेता भाजपा की रमा देवी रहीं। रमा देवी अपने जमाने के बाहुबली रहे मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की विधवा हैं। शिवहर में कड़ा संघर्ष तय है। ऐसे में आनंद मोहन की आंखें हर गतिविधि को जांच रही हैं। वहां उनके समर्थक ‘जेल का फाटक टूटेगा, आनंद मोहन छूटेगा’ के नारे लगा रहे हैं।
बिहार में जेल से चुनाव जीतने वाले बाहुबली
जेल में रहते हुए भी चुनाव जीतने वाले बिहार में कई धुरंधर हैं। मोकामा के मौजूदा विधायक अनंत सिंह अकेले नहीं हैं। उनसे पहले महनार से रामा सिंह, तरारी से नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय, शिवहर से आनंद मोहन आदि विधानसभा और संसद पहुंचते रहे हैं।
जेल आइजी ने कही ये बात 
बाहुबलियों के जेल में रहते हुए बाहर की चुनावी राजनीति कंट्रोल करने के कारण जेल की व्‍यवस्‍था पर सवाल उठते रहे हैं। हालांकि, बिहार के जेल आइजी मिथिलेश मिश्र ऐसा नहीं मानते। वे कहते हैं कि आम हो खास, जेल में बंद सभी कैदी हैं। जेल या जेल अस्पताल से किसी कैदी को सेलफोन या फोन पर बात करने की छूट नहीं है। ऐसा करते पाए जाने पर संबंधित कैदी पर एक और मुकदमा दर्ज होगा। यही नहीं, छूट देने वाले पुलिसकर्मियों की भी खैर नहीं है। उनके खिलाफ भी तत्काल निलंबन की कार्रवाई होगी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी की मतदाताओं से अपील 
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एचआर श्रीनिवास ने भी मतदाताओं से अपील है कि वे किसी दबंग और बाहुबली के दबाव में नहीं आएं। कोई प्रत्याशी, नेता, पार्टी कार्यकर्ता या अपराधी गड़बड़ी या आचार संहिता का उल्लंघन करते दिखे तो आप इसकी शिकायत सी-विजिल एप पर तत्काल करें। पहचान गोपनीय रहेगी। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए पहली बार यह एप लांच किया गया है। इस पर सूचना देने के सौ मिनट के भीतर ही कार्रवाई होगी। टोल फ्री नंबर 1950 पर कॉल करके भी गड़बड़ी की सूचना दी जा सकती है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com