प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने पूर्व सांसद व माफिया अतीक अहमद के शूटरों के लाॅज पर चलाया बुलडोजर

पूर्व सांसद व माफिया अतीक अहमद के शूटर भुट्टो के शहर स्थित बेली में दो मंजिला लाॅज को ढहाने की कार्रवाई रविवार को शुरू हुई। बुलडोजर के साथ पहुंचे प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को देख लोगों की भीड़ भी जुट गई। हालांकि इस दौरान भारी संख्‍या में पुलिस फोर्स भी मौजूद रही। बता दें कि शनिवार को भी पीडीए की कार्रवाई यहां हुई थी। अधिकारियों ने कुछ हिस्‍से को गिरवाया था। उस दौरान विरोध भी हुआ था।

अरशद के मकान और लॉज टूटेगा

बता दें कि लगभग 500 वर्ग गज क्षेत्रफल में बने भुट्टो के इस लाज में 40 से 50 कमरे होने का अनुमान है। एसीएम द्वितीय प्रेमचंद्र मौर्य के नेतृत्व में भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में पीडीए की टीम लाज को ढहवा रही है। इसके बाद अरशद के मकान और लाज को भी गिराने की कार्रवाई शुरू होगी। अरशद के मकान का आगे का हिस्सा शनिवार को भी ढाया गया था। हालांकि उसका लाज खाली नहीं हुआ था। भुट्टो का लाज भी राजकीय स्थान की भूमि पर अवैध बना है। जमीन और लाज की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है।

विरोध के कारण आगे का हिस्सा किया गया जमींदोज

बेली उपरहार में राजकीय आस्थान की जमीन पर पूर्व सांसद अतीक अहमद के गुर्गे द्वारा बनवाए गए अवैध दो मंजिला मकान ढहाने की शनिवार को कार्रवाई हुई थी। सपाइयों और स्थानीय लोगों के भारी विरोध के कारण कार्रवाई विलंब से शुरू हुई, जिसकी वजह से मकान का आगे का आंशिक हिस्सा ही जमींदोज किया जा सका। कार्रवाई रोक कर सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने के कारण तहसील प्रशासन की ओर से कैंट थाने में तहरीर भी दी गई है। बेली उपरहार में अरशद, राशिद व उनके भाइयों ने राजकीय आस्थान की करीब 10 बिस्वा जमीन पर अवैध बिल्डिंग और लॉज का निर्माण करा लिया है। हालांकि, अवैध बिल्डिंग का निर्माण अलग-अलग हिस्सों में कराया गया है।

पीछे तीन मंजिला मकान और लॉज

पीछे के हिस्से में तीन मंजिला मकान और लॉज पहले का बना है। मकान में अरशद के परिवार के अलावा कई कमरे और लॉज किराए पर उठाए गए हैं। शनिवार को आगे के हिस्से में रखे सामानों को हटवाया जाने लगा, तभी इविवि छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह, आदिल हमजा समेत सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, बच्चे और स्थानीय लोग पहुंचे। इन लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया था। इन सभी का कहना था कि कार्रवाई के पहले नोटिस दिया जाना चाहिए। मकान खाली करने का समय दिया जाना चाहिए। इन्हीं बातों को लेकर अधिकारियों के साथ इन लोगों की करीब दो घंटे तक नोकझोंक होती रही। हंगामे के कारण चार बजे तक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी।

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