प्रदूषण बढ़ने के साथ ही बढ़े त्वचा संक्रमण के 20 फीसदी मरीज, जानें बचाव के जरूरी उपाय

प्रदूषण बढ़ने के साथ ही बढ़े त्वचा संक्रमण के 20 फीसदी मरीज, जानें बचाव के जरूरी उपाय

प्रदूषण बढ़ने के साथ त्वचा संक्रमण के 20 फीसदी मरीज बढ़ गए हैं। शुष्क त्वचा, खुजली और अलग-अलग एलर्जी के मामले बढ़ रहे हैं। हवा में धूल और प्रदूषण के कण त्वचा को खराब कर रहे हैं। ऐसे में मरीजों को अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

कोविड-19 महामारी से इन दिनों पूरा विश्व जूझ रहा है। सभी लोग इसके उपचार का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन नौ माह तक अभी तक इस बीमारी का कोई उपचार नहीं मिल पा रहा है। कोविड-19 का बीमारी कोरोना वायरस के जीवित कौशिकाओं में प्रवेश करने पर बढ़ती है। ऐसे में लोगों को बेहद सतर्कता बरतने की अपील की जा रही है।

वहीं कोरोना के खतरे के साथ-साथ दिल्ली एनसीआर के लोगों के लिए प्रदूषण का खतरा भी बढ़ गया है। पिछले दस दिनों से जिले का प्रदूषण स्तर काफी उच्च स्तर पर चल रहा है। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी देखने को मिल रहा है। प्रदूषण बढ़ने के साथ त्वचा संबंधित बीमारियों के मरीज भी बढ़ने लगे हैं।

वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. भावुक मित्तल ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने के साथ त्वचा संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसमें चेहरे पर जलन, बालों का झड़ना, खुजली और अन्य संक्रमण का खतरा बन जाता है। बच्चों की त्वचा काफी संवेदनशील होती है, जिससे त्वचा रोग का खतरा अधिक रहता है। वातावरण में धूल और प्रदूषण के कण सीधा व्यक्ति के सबसे पहले त्वचा पर प्रभाव करते हैं।

शुरूआत में मामूली एलर्जी, आगे जाकर शरीर पर निशान बन जाते हैं और खतरानाक बीमारी का भी रूप ले सकती हैं। शुष्क त्वचा वाले लोगों में बालों के झड़ने और खुजली की शिकायत भी रहती है। उन्होंने बताया कि पिछले दस दिनों में ओपीडी की संख्या 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है।

खुजली और एलर्जी के बढ़ रहे मामले-

जिला एमएमजी अस्पताल के वरिष्ठ त्वचा विशेषज्ञ डॉ. एके दिक्षित ने बताया कि वर्तमान में ओपीडी की संख्या काफी बढ़ गई है। पहले एक दिन में 70-100 मरीज आते थे। एक सप्ताह से प्रतिदिन 150 से ज्यादा मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। अधिकांश मरीजों में नई एलर्जी दिखाई दे रही है। पहले बैक्टिरिया या सूक्ष्म जीवाणू से संक्रमित बीमारी आती थी। अब लोगों में शुष्क त्वचा के साथ एलर्जी बढ़ गई। खराब खाप-पान और प्रदूषण का सीधा त्वचा पर प्रभाव इसका मुख्य कारण है।

पानी का स्तर संतुलित रखना जरूरी-

डॉ. भावुक मित्तल ने बताया कि प्रदूषित कण शरीर में पानी की कमी कर देते हैं, प्रदूषण से बचाव के लिए पानी का संतुलन जरूरी है। नियमित पानी पीते रहना चाहिए, फलों का सेवन जो शरीर में लवणों की मात्रा को बनाएं रखते हैं। घर से कम बाहर निकलें, बाहर जाते वक्त मास्क व फुल बाजू के कपड़े पहनें, कठोर साबुन का इस्तेमाल कम करें, नहाने के बाद बेहतर क्रीम का प्रयोग करें, जिससे शरीर में कौशिकाएं बंद न हों।

सांस के मरीजों को भी त्वचा रोग का खतरा-

विशेषज्ञ के अनुसार सांस के मरीजों में त्वचा संबंधित शिकायत रहती हैं। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर त्वचा भी खराब रहती है। ऐसे में गंभीर मरीजों को कोरोना के साथ प्रदूषण का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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