पितृ पक्ष में श्राद्ध करते समय इन 5 बातों का रखें विशेष ध्यान

इस वर्ष पितृ पक्ष श्राद्ध 13 सितंबर दिन शुक्रवार से प्रारंभ हो रहा है, जो 28 सितंबर तक चलेगा। इन दिनों में पितरों को पिंडदान करते हैं, जिससे वे तृप्त होते हैं।

इससे परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है। पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म के भी नियम होते हैं, जिसका पालन करना आवश्यक माना गया है। इन नियमों से श्राद्ध कर्म को पूरा करने से पितर तृप्त होते हैं।

तर्पण और श्राद्ध/Pind Daan Or Shradh

अपने पितरों को तृप्त करने की क्रिया तथा देवताओं, ऋषियों या पितरों को काले तिल मिश्रित जल अर्पित करने की प्रक्रिया को तर्पण कहा जाता है। पितरों को तृप्त करने के लिए श्रद्धा पूर्वक जो प्रिय भोजन उनको दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है।

श्राद्ध के नियम /Rules of Shradh

पितरों के श्राद्ध के लिए कुछ नियम हैं, जिनका अनुसरण करना जरूरी है। आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में —

1. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितर लोक दक्षिण दिशा में होता है। इस वजह से पूरा श्राद्ध कर्म करते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।

2. पितर की तिथि के दिन सुबह या शाम में श्राद्ध न करें, यह शास्त्रों में वर्जित है। श्राद्ध कर्म हमेशा दोपहर में करना चाहिए।

3. पितरों को तर्पण करने के समय जल में काले तिल को जरूर मिला लें। शास्त्रों में इसका महत्व बताया गया है।

4. श्राद्ध कर्म के पूर्व स्नान आदि से निवृत्त होकर व्यक्ति को सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करें, मांस-मदिरा का सेवन न करें। मन को शांत रखें।

5. पितरों को जो भी भोजन दें, उसके लिए केले के पत्ते या मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल करें।

जो लोग इन नियमों का पालन करते हुए श्राद्ध कर्म को पूरा करते हैं, वे स्वर्ग के भागी बनते हैं।

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