पिता की गरीबी देख मन में ठानी और खड़ा कर दिया होटल कारोबार

‘अगर कुछ करने का मन हो तो सफलता आपके कदम जरूर चूमती है’ यह कहावत नैनीताल (उत्तराखंड) के दलित व्यवसायी देवेन्द्र लाल पर सटीक बैठती है. उन्होंने 18 साल की उम्र में आजीविका चलाने के लिए संघर्ष किया और यहां उद्यमी के तौर पर पहचान बनाई है. देवेंद्र लाल नैनीताल में जाना माना नाम है.पिता की गरीबी देख मन में ठानी और खड़ा कर दिया होटल कारोबार

सन 1949 में नैनीताल के हरीनगर में जन्मे देवेन्द्र लाल के पिता 5 भाइयों में सबसे बड़े थे. पिता छोटी मोटी ठेकेदारी करते थे. चार भाइयों और उनके परिवार का जिम्मा भी उन पर ही था. इसलिए उनका खुद का परिवार आर्थिक तंगी में रहा.

परिवार की विपरीत आर्थिक स्थिति के बावजूद देवेंद्र लाल ने जीआईसी से हाईस्कूल व सीआरएसटी से इंटर किया. इसके बाद डिप्लोमा करने बाहर चले गए. वापस आने के बाद बीमार पिता के काम को आगे बढ़ाने का काम किया. उन्होंने 1971 में बड़े ठेके लेने का मन बनाया. इसके बाद खुद ही एक ट्रक खरीदा.

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साल 1982 में होटल व्यवसाय में रखा कदम 

देवेंद्र लाल के चाचा बिहारी लाल 1979 में खटीमा से विधायक बने जिसके बाद परिवार को पहचान मिली. साल 1979 में देवेन्द्र लाल ने जमीन खरीदी और 1980 में पालिका ने नक्सा पास कराकर होटल का निर्माण करवाया. 1982 में 9 कमरों से शुरू हुए होटल कारोबार में आज देवेन्द्र लाल होटल उघमी के तौर पर पहचान रखते हैं. इस होटल में आज 20 से ज्यादा कमरे हैं.

समाजसेवा के साथ-साथ राजनीति में भी हैं सक्रिय 

देवेन्द्र लाल आज भी उन दिनों को याद कर भावुक हो उठते हैं जब पिता के पास सिर्फ 10 रुपए का नोट था और परिवार का बोझ बहुत बड़ा. देवेन्द्र लाल कहते हैं कि परिवार ने गरीबी देखी, जिससे अपनी तकदीर बदलने का निर्णय खुद ही ले लिया. हर वक्त उनकी कलम ही उनके साथ रही. सादा जीवन पसंद करने वाले देवेन्द्र लाल आज समाज के लिए भी लड़ने के लिए तैयार रहते हैं और राजनीति में भी पांव जमा रहे हैं.

आरक्षण न सही अच्छी शिक्षा तो दे सरकार 

देश में चल रहे आरक्षण पर देवेन्द्र लाल कहते हैं कि सरकार आरक्षण न दे लेकिन शिक्षा ऐसी दे कि पत्थर तोड़ने पर भी हीरे निकलें, ताकि समाज को बेहतर किया जा सके. भीमराव अम्बेडकर को आर्दश मानते हुए उन्होंने कहा कि जिसको हर व्यक्ति ने अछूत माना उसने भी सिर्फ अपनी शिक्षा से अपना नाम कमाया और संविधान बनाया.

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