पिछले चुनाव में BJP जीती, NOTA ने प्रत्याशियों का बिगाड़ा खेल : उजियारपुर

उजियारपुर बिहार के 40 संसदीय क्षेत्रों में एक है. साल 2008 में इस संसदीय क्षेत्र का गठन हुआ. साल 2002 में बने परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद यह संसदीय क्षेत्र बना. फिलहाल बीजेपी के सांसद नित्यानंद राय यहां से सांसद हैं.

उजियारपुर में 6 विधानसभा क्षेत्र

उजियारपुर संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें हैं. इनके नाम हैं-पातेपुर, उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीन नगर और विभूतिपुर. इनमें पातेपुर सीट एसी आरक्षित है. पातेपुर वैशाली जिले में पड़ता है. उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीन नगर और विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र समस्तीपुर जिले में पड़ते हैं.

पिछले चुनाव का समीकरण

बीजेपी के नित्यानंद राय यहां से सांसद हैं. 2014 के चुनाव में उन्होंने आरजेडी के प्रत्याशी आलोक कुमार मेहता को लगभग डेढ़ लाख मतों से हराया था. राय को 3,17,352 वोट और मेहता को 2,56,883 वोट मिले थे. राय को 36.95 प्रतिशत और मेहता को 29.91 प्रतिशत वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर जेडीयू की अश्वमेध देवी रही थीं जिन्हें 13.93 प्रतिशत मत शेयर के साथ लगभग सवा लाख वोट मिले थे. चौथे स्थान पर सीपीआई के रामदेव वर्मा और पांचवें स्थान पर बीएसपी के धर्मेंद्र सहनी थे. सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस संसदीय क्षेत्र के चुनाव में छठे स्थान पर नोटा रहा जिसमें 6171 वोट गिरे थे. नोटा का मत प्रतिशत 0.72 था.

2009 में कौन पार्टी जीती चुनाव

2009 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार अश्वमेध देवी ने जीत हासिल की थी.  उन्होंने आरजेडी के प्रत्याशी आलोक कुमार वर्मा को हराया था. अश्वमेध देवी को 180082 वोट मिले थे जबकि मेहता को 154770 वोट. उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र आरक्षित नहीं है और यह जनरल कैटगरी में आता है.

उजियारपुर के साथ एक खास बात यह है कि 2014 में यहां से विजयी बीजेपी उम्मीदवार नित्यानंद राय फिलहाल बिहार बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं. प्रदेश में यादव वोट पर निगाह रखते हुए पार्टी आलाकमान ने उन्हें यह अहम जिम्मेदारी सौंपी थी. बिहार में लालू यादव की अच्छी पकड़ है, इस पर नजर रखते हुए राय को अध्यक्ष बनाया गया.

2009 के चुनाव में उजियारपुर क्षेत्र से 21 प्रत्याशी मैदान में थे जिनमें 9 निर्दलीय थे. इस चुनाव में कई ऐसी पार्टियां शामिल थीं जिनका नाम इस संसदीय चुनाव में पहली बार सुना गया. इन पार्टियों में शामिल हैं-मुस्लिम लीग केरला स्टेट कमेटी, सोशलिस्ट पार्टी (लोहिया), बज्जिकांचल विकास पार्टी, राष्ट्र सेवा दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति और राष्ट्रीय प्रगति पार्टी. एक खास बात और रही कि इन सभी पार्टियों ने थोड़े-बहुत वोट झटके, नतीजतन जीतने वाले उम्मीदवार को भी कोई बहुत ज्यादा वोट नहीं मिले.

कुल कितने मतदाता

पिछले चुनाव में इस सीट पर कुल 14,24,012 मतदाता थे जिनमें 6,61,346 महिला और 27 किन्नर वोटर शामिल थे.

राय के पक्ष में कैसे पलटी बाजी

2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने नित्यानंद राय के पक्ष में रैली की थी और खुले तौर पर उनके कार्यों की तारीफ की थी. पूरे देश में मोदी लहर कायम थी, लिहाजा राय आसानी से जीत गए. जेडीयू प्रत्याशी अश्वमेध देवी के साथ ड्रॉबैक ये रहा कि उन्होंने अपने ही क्षेत्र में सिंचाई से जुड़े कार्यों को नजरंदाज किया, जो पिछले कई चुनावों में खास असर डालते रहे हैं. 2014 के चुनाव में जेडीयू समर्थक नीतीश कुमार के काम से खुश थे लेकिन वे लोकसभा में जेडीयू प्रत्याशी को नहीं भेजना चाहते थे. परिणाम यह रहा कि अश्वमेध देवी चुनाव हार गईं और बीजेपी के नित्यानंद राय विजयी घोषित हुए.

राय का सांसद निधि खर्च

उजियारपुर संसदीय क्षेत्र के लिए 25 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित है. भारत सरकार ने कुल 17.50 करोड़ रुपए जारी किए. ब्याज के साथ यह राशि 18.26 करोड़ रुपए हुई. सांसद नित्यानंद राय ने अपने क्षेत्र के लिए 29.22 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा जिसमें 21.13 करोड़ रुपए पास हुए. इसमें 17.71 करोड़ रुपए खर्च हुए. कुल राशि का 101.19 प्रतिशत हिस्सा खर्च हुआ और 0.55 प्रतिशत बचा रह गया.

संसद में प्रदर्शन

नित्यानंद राय की संसद में हाजिरी 69 प्रतिशत है. उन्होंने 7 बहसों में हिस्सा लिया. बहस में कुल 141 सवाल पूछे गए. उन्होंने एक भी प्राइवेट मेंबल बिल पास नहीं कराए.

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