पतंजलि आयुर्वेद ‘कोरोनिल’ ट्रेडमार्क का इस्तेमाल नहीं कर सकती हम इसे रद्द करते है: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट को ‘कोरोनिल’ ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि वे महामारी से डरे हुए लोगों का फायदा उठाते हुए कोरोना के इलाज के नाम पर सर्दी, खांसी और बुखार के लिए इम्यूनिटी बूस्टर बेच कर पैसा कमाने की फिराक में लगे हुए थे.

कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि इस आपदा की घड़ी में कई ऐसी संस्था हैं जो लोगों की नि:स्वार्थ भाव से मदद कर रही हैं. ऐसे में प्रतिवादी उन संस्थाओं को यह जुर्माने की राशि दें. आद्यार कैंसर इंस्टीट्यूट और गवर्नमेंट योग एंड नेचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज ऐसी ही दो संस्था हैं जो लोगों का फ्री में इलाज कर रही हैं. इसलिए इन दोनों संस्थानों को पांच-पांच लाख रुपये दिए जाएं.

कोर्ट ने आदेश में कहा है कि प्रतिवादी 21 अगस्त तक दोनों संस्थाओं को पैसों का भुगतान करें और 25 अगस्त तक हाई कोर्ट के समक्ष इससे संबंधित रजिस्ट्री फाइल हो जानी चाहिए.

चेन्नई की कंपनी अरूद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड की अर्जी पर कोर्ट ने पहले ही पतंजलि कंपनी को ट्रेडमार्क ‘कोरोनिल’ का इस्तेमाल करने से रोक दिया था. अरूद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड ने कहा कि ‘कोरोनिल’ 1993 से उसका ट्रेडमार्क है.

कंपनी के अनुसार उसने 1993 में ‘कोरोनिल-213 एसपीएल’ और ‘कोरोनिल -92बी’ का पंजीकरण कराया था और वह तब से उसका नवीकरण करा रही है. यह कंपनी भारी मशीनों और निरूद्ध इकाइयों को साफ करने के लिए रसायन एवं सैनिटाइजर बनाती है. कंपनी ने कहा, ‘फिलहाल, इस ट्रेडमार्क पर 2027 तक हमारा अधिकार वैध है.’

बता दें, पतंजलि द्वारा कोरेानिल पेश किये जाने के बाद आयुष मंत्रालय ने एक जुलाई को कहा था कि कंपनी कोविड-19 के उपचार के लिए नहीं, बल्कि प्रतिरोधक वर्धक के रूप में यह दवा बेच सकती है.

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