नवरात्रि में पंचमी पर होगा देवी सरस्वती का आह्वान, 6 खास बातें एवं पूजन के मुहूर्त

 सरस्वती आह्वान कब किया जाता है? नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा के साथ ही पुस्तक पर स्थापित बुद्धि और वाणी की देवी मां सरस्वती आह्वान किया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, मां सरस्वती आह्वान अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में नवरात्रि के दौरान किया जाता है। नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों में देवी सरस्वती को पूर्ण श्रद्धा से याद करके देवी सरस्वती को बुलाए जाने के मुख्य दिन को सरस्वती आह्वान कहा जाता है।> जैसे नवरात्रि में द्वितीय नवरात्रि के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से राहु के अशुभ फल दूर होते हैं। उसी तरह सप्तमी की तिथि को सरस्वती का आह्वान किया जाता है। राहु छाया ग्रह है और देवी दुर्गा को छायारूपेण कहा गया है।  दुर्गा पूजा से राहु के सभी अनिष्ट समाप्त होते हैं। राहु के लिए इष्ट देवी मां सरस्वती को माना गया है। लाल किताब में दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय का पाठ राहु का अचूक उपाय बताया गया है। मां को अति प्रिय नारियल भी राहु का ही प्रतीक है।

आइए जानें नवरात्रि में कैसे करें राहु को अनुकूल, करें यह उपाय-  

1. नवरात्रि में कलश के पास एक नारियल जरूर रखें। 

2. नर्वाण मंत्र ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का शाम को प्रतिदिन 108 बार जप करें।  

3. मां सरस्वती को नीले पुष्प अर्पित करें।

 4. राहु बीज मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: का जप करें। यह जप काले हकीक की माला पर दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ मुख कर करें।

 5. दुर्गा चालीसा का पाठ करें। 

6. सप्तमी तथा दुर्गाष्टमी के दिन शाम को दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच, अर्गलास्तोत्र, कीलक स्तोत्र आदि सहित दुर्गा सप्तशती का विधिपूर्वक संपूर्ण पाठ करें। पाठ खत्म होने के पश्चात हवन करें। नीले पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, जायफल, लौंग, छोटी इलायची, जौं, काले तिल, काली मिर्च, गूगल, शहद, घी की आहुति दें। हवन में ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ मंत्र की 108 आहुति, ‘ॐ छौं छीं छौं स: राहवे स्वाहा’ मंत्र की सूखी हुई दूब से 108 आहुति जरूर दें। अंत में नारियल की पूर्ण आहुति दें। अगर आपको विधि-विधान का पता नहीं तो किसी योग्य पंडित से कराएं। 

देवी सरस्वती के पूजन के शुभ मुहूर्त समय निम्नानुसार रहेगा-  देवी सरस्वती का आह्वान जब मूला नक्षत्र प्रबल होता है, तब किया जाता है, अत: नवरात्रि 2020 में यह दिन 21 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। सरस्वती का आहावान, अनुष्ठान और पूजन का शुभ समय सुबह 7.58 मिनट से दोपहर 1.43 मिनट तक रहेगा।  इस खास पर्व में 22 अक्टूबर को पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में सुबह 7.10 मिनट से दोपहर 01.06 मिनट तक का समय अतिशुभ रहेगा और सरस्वती दान का समय उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 23 अक्टूबर को सुबह 7.06 से दोपहर 1.14 मिनट तक रहेगा।

सरस्वती दान के दौरान देवी सरस्वती को गन्ना, कद्दू, अन्य फल या सब्जियां चढ़ाई जाती हैं। सरस्वती विसर्जन का समय जब श्रवण नक्षत्र प्रबल हो तब 24 अक्टूबर को दोपहर 1.28 मिनट से 07.46 बजे के बीच रहेगा। अत: इस दिनों में आप सरस्वती देवी की कृपा पा सकते हैं। 

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