फिल्म ‘कमांडो 2’ की कहानी विदेशी धरती से भारत का काला धन वापस लाने की एक बेवकूफ़ाना दास्तान है. इस मिशन के लिए चार लोगों की एक टीम मलेशिया जाती है- जहां मनी लॉन्डरिंग का सबसे बड़ा माफ़िया विक्की चड्ढा पुलिस की गिरफ़्त में है.
कुछ घटिया डॉयलॉग्स, औसत दर्जे के धीमे एक्शन सींस और बेहद ख़राब अभिनय के बीच ये कमांडो ना सिर्फ ब्लैक मनी के डॉन को भारत लाता है बल्कि सारा का सारा ब्लैक मनी भी वापस ले आता है.
विद्युत जम्वॉल अपनी बॉडी दिखाने से ज़्यादा कुछ नहीं कर पाए हैं. हिरोइन के नाम पर जो धोखा दिया गया है, उसके लिए मैं विपुल शाह को कभी माफ नहीं करुंगा. अदा शर्मा का सारा मेकअप उतर जाता हैं – जैसे ही वो अपना मुंह खोलती हैं.
इस फ़िल्म में ग़रीबों की सनी लियोनी यानि इशा गुप्ता भी हैं, मगर उनके टैलेंट का फ़िल्म में तो कोई इस्तेमाल नहीं किया है विपुल भाई ने. कॉमेडियन से डॉयरेक्टर बने देवेन भोजानी इस फ़िल्म के सबसे बड़े विलेन हैं – उनको दोबारा कॉमेडी में लौट आना चाहिए.
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बीटीडीडी फ़िल्म रिव्यू में हमने कमांडो 2 की अच्छाइयों और कमियों को परखने के बाद पाया कि इस फ़िल्म को पांच में से एक स्टार ही मिलता है, वो भी इसलिए कि वो फ़िल्म को रिलीज़ होने में कामयाब हो गई है.
अब जबकि ब्लैक मनी का सारा पैसा देश में वापस आ चुका है – आप टिकट ख़रीदने से पहले अपने बैंक अकाउंट में वो 15 लाख रुपये आने का इंतज़ार करिए जिसका वादा दो साल पहले किया गया था.
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