तमिल सुपरस्टार रजनीकांत हुए राजनीति के शिकार हुई FIR

तमिल सुपरस्टार रजनीकांत को थंथई पेरियार (पेरियार ईवी रामासामी) के खिलाफ कथित तौर पर टिप्पणी करना महंगा पड़ गया। द्रविड़ विधुथलाई कझगम के सदस्यों ने रजनीकांत के खिलाफ थंथई पेरियार (पेरियार ईवी रामासामी) के खिलाफ कथित रूप से टिप्पणी करने को लेकर एफआईआर दर्ज कराई है।

रजनीकांत पर पेरियार के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी का आरोप है। द्रविड़ विधुथलाई कझगम के सदस्यों ने रजनीकांत के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (ए) के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है।

द्रविड़ विदुथलई कषगम (डीवीके) ने शुक्रवार को सुपरस्टार रजनीकांत पर समाज सुधारक पेरियार द्वारा 1971 में की गयी रैली के सिलसिले में ‘सरासर झूठ बोलने का’ आरोप लगाया, उनसे इस संदर्भ में माफी मांगने की मांग की है।

डीवीके अध्यक्ष कोलाथुर मणि ने एक बयान में आरोप लगाया कि अभिनेता रजनीकांत ने सरासर झूठ बोला कि 1971 में सलेम में अंधविश्वास उन्मूलन सम्मेलन के तहत भगवान राम और सीता की निर्वस्त्र तस्वीरें दिखायी गयी थीं।

संगठन ने कहा कि अभिनेता ने 14 जनवरी को एक पत्रिका के कार्यक्रम में यह टिप्पणी की। मणि ने अभिनेता से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की और कहा कि उनके संगठन ने उनके विरूद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करायी है।

बता दें कि रजनीकांत ने एम करुणानिधि और पेरियार ईवी रामसामी पर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। रजनीकांत  ने कहा था ‘पेरियार हिंदू देवताओं के कट्टर आलोचक थे लेकिन उस समय किसी ने पेरियार की किसी ने आलोचना नहीं की।’

‘यह केवल चो (रामासामी) थे जिन्होंने पेरियार से मोर्चा लिया जो करुणानिधि को पसंद नहीं आया। चो को करुणानिधि के क्रोध का सामना करना पड़ा। डीएमके के संरक्षक ने उन्हें मुफ्त में पब्लिसिटी दे दी और पूरे देश में लोकप्रिय बना दिया। रामासामी उस समय की सरकार के कट्टर विरोधी थे।’

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