जांच के आदेश-ITR-सर्विस टैक्‍स रिटर्न के बीच 12 लाख करोड़ का अंतर

कंपनियों के इनकम टैक्‍स रिटर्न और सर्विस टैक्‍स रिटर्न के बीच बड़े अंतर के बाद रेवेन्‍यू डिपार्टमेंट ने जांच के आदेश दिए हैं. डिपार्टमेंट के मुताबिक वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-17 के लिए कंपनियों के आईटीआर और सर्विस टैक्‍स रिटर्न में अंतर है और यही वजह है कि जांच करने को कहा गया है.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन पी के दास के मुताबिक यह अंतर 12 लाख करोड़ रुपये का है. वित्त वर्ष 2016-17 के विवरणों में भी यह अंतर पाया गया है. इस बारे में आंकड़े क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ साझा किये गये हैं. दास ने टैक्‍स अधिकारियों से आंकड़ों को सत्यापित करने को कहा है.

इसके साथ ही  सीबीआईसी को रिपोर्ट देने को कहा गया है. दास ने कहा, ‘‘यह बड़ा अंतर राजस्व नुकसान का संकेत देता है. इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती.’’

इनकम टैक्‍स रिटर्न और सर्विस टैक्‍स रिटर्न में अंतर स्थायी खाता संख्या (पैन) के संदर्भ में सामने आया है. यह पाया गया कि सर्विस टैक्‍स के तहत पैन या तो रजिस्‍टर्ड नहीं हैं या फिर अगर रजिस्‍टर्ड हैं तो सर्विस टैक्‍स रिटर्न नहीं भरे गए हैं.

बता दें कि सर्विस टैक्‍स 1 जुलाई 2017 से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में समाहित हो गया है. इसके अलावा नई इनडायरेक्‍ट टैक्‍स व्यवस्था के तहत जांच के घेरे में पिछले दो वित्त वर्ष हैं. वित्त वर्ष 2016-17 में नया सर्विस टैक्‍स कलेक्‍शन 2.54 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2015-16 में 2.11 लाख करोड़ रुपये था.

वहीं अगर डायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्‍शन की बात करें तो वित्‍त वर्ष 2018-19 में लक्ष्‍य से कम हुआ है. कलेक्‍शन में कमी की वजह से आईटी डिपार्टमेंट और सीबीडीटी लगातार एक्‍शन मोड में है.

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