अभी-अभी: चीन ने इस बात को लेकर दी बड़ी धमकी, और मचा बड़ा बवाल...

अभी-अभी: चीन ने इस बात को लेकर दी बड़ी धमकी, और मचा बड़ा बवाल…

New Delhi: मोदी सरकार की आक्रामक कूटनीति को और धार मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट और सीसीईए की बैठक में पांच ऐसे फैसले किए गए, जो सरकार की कूटनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनमें सबसे अहम फैसला पड़ोसी देशों के साथ सड़क कनेक्टिविटी बढ़ाने से जुड़ा हुआ है।अभी-अभी: चीन ने इस बात को लेकर दी बड़ी धमकी, और मचा बड़ा बवाल...अमरनाथ आतंकी हमले के बाद देश में एक और भयानक घटना दहल उठा पूरा देश, भारी संख्या में आयी फ़ोर्स

इसके तहत सरकार ने सासेक कॉरिडोर परियोजना को तेज करने का फैसला लिया है। चीन जिस तरह से वन बेल्ट-वन रोड (ओबोर) परियोजना को बढ़ा रहा है, उसे देखते हुए इसकी अहमियत बढ़ गई है। दो फैसले पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ रणनीतिक संबंधों को और मजबूत बनाने से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा दो फैसला फलस्तीन को स्वास्थ्य व आर्थिक क्षेत्र में मदद देने से संबंधित है।अभी-अभी: अमिताभ बच्चन की ये पॉपुलर हीरोइन का हुआ निधन… बॉलीवुड जगत में छाया मातम

भारत ने कई वर्ष पहले भूटान, नेपाल, बांग्लादेश व म्यांमार को जोड़ने के लिए सासेक (साउथ एशियन सब रिजनल इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) कॉरिडोर शुरू किया था। इसके तहत मणिपुर के इंफाल-मोरेह (म्यांमार) को जोड़ने की सड़क परियोजना को 1630.29 करोड़ रुपये और दिए गए हैं।

इस मार्ग को पूर्वी एशियाई बाजार के लिए भारत का प्रवेश द्वार माना जाता है। भारत की योजना इस मार्ग के जरिये न सिर्फ पूर्वी एशियाई बाजारों को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने की है, बल्कि वह यह भी दिखाना चाहता है कि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की अवधारणा को वह स्वीकार करता है।सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में सासेक परियोजना को लेकर कुछ और अहम फैसले होंगे।फलस्तीन के लिए हर मदद मोदी हाल में ही इजरायल की बेहद सफल यात्रा संपन्न कर स्वदेश लौटे हैं। लेकिन स्वदेश लौटने के बाद अपनी पहली कैबिनेट बैठक में उन्होंने फलस्तीन को सहयोग देने से जुड़े दो अहम परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसमें एक परियोजना स्वास्थ्य और औषधि के क्षेत्र में है। इससे फलस्तीन को स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतरीन प्रशिक्षण देने, संक्रामक बीमारियों के रोक थाम की तकनीकी देने, दवाइयां व स्वास्थ्य से जुड़े अन्य उपकरण देने का रास्ता साफ होगा।आने वाले दिनों में भारत व फलस्तीन में इसके लिए एक कार्य दल का भी गठन होगा। इसके अलावा फलस्तीन को सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मदद देने संबंधी प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई गई है। इससे इस छोटे से देश के सरकारी काम काज में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिलेगा। सनद रहे कि मोदी इजरायल की यात्रा पर जाने वाले पहले भारतीय पीएम हैं। इससे भारत व फलस्तीन के ऐतिहासिक रिश्ते पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे में भारत ने यह दिखाने की कोशिश की है कि उसके लिए फलस्तीन का अलग महत्व है।

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