क्या खजुराहो में कांग्रेस खत्म कर पाएगी 20 साल का सूखा, जानिए

मध्य प्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट राज्य की अहम लोकसभा सीट है. यह सीट बीजेपी की दिग्गज नेता उमा भारती की जीत का गवाह रही है. हालांकि इस सीट पर उनको निराशा भी मिल चुकी है. वह यहां से एक चुनाव हार भी चुकी हैं. खुजराहो लोकसभा सीट पर उमा भारती 4 चुनावों में जीत हासिल कर संसद तक पहुंच चुकी हैं.

बीजेपी के दिग्गज नेता नागेंद्र सिंह यहां के सांसद थे लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने उनको मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की, जिसके बाद ये सीट रिक्त हो गई है.बीजेपी को इस सीट पर 7 चुनावों में जीत मिली है तो कांग्रेस को 6 बार जीत मिली है. खजुराहो लोकसभा सीट पर बीते 3 चुनावों से बीजेपी को ही जीत मिलती आई है. कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर जीत साल 1999 में मिली थी.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

खजुराहो लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1957 में हुआ. खजुराहो सीट छतरपुर और कटनी जिले के कुछ क्षेत्रों तक फैली हुई है. 1957 में इस सीट पर हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के राम सहाय ने जीत हासिल की थी. 1957 में यहां पर फिर से चुनाव जिसमें कांग्रेस के ही मोतीलाल मालवीय विजयी रही. इसके अगले चुनाव 1962 में कांग्रेस ने यहां पर जीत की हैट्रिक लगाई और राम सहाय एक बार फिर से सांसद बने.

यहां पर अगला चुनाव 1977 में हुआ. कांग्रेस के हाथ से यह सीट निकल गई और भारतीय लोकदल के लक्ष्मी नारायण नायक यहां के सांसद बने. 1977 का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने यहां पर 1980 में एक बार फिर वापसी की. कांग्रेस की विद्दावती चतुर्वेदी ने लक्ष्मीनारायण नायक को शिकस्त दी.

विद्दावती ने इसके बाद अगला चुनाव भी जीता और उन्होंने उमा भारती को मात दी. उमा भारती का इस सीट पर पहला चुनाव था. हालांकि उमा भारती ने 1989 के चुनाव में बदला लिया और विद्दावती चतुर्वेदी को हराया. उमा भारती ने इसके बाद 1991, 1996 और 1998 का चुनाव भी जीता. 1999 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां से सत्यव्रत चतुर्वेदी को टिकट दिया. सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कांग्रेस की इस सीट पर वापसी कराई और वह यहां से सांसद बने.

2004 में बीजेपी ने एक बार फिर यहां पर वापसी की. बीजेपी के रामकृष्ण खुशमरिया ने इस बार सत्यव्रत चुतर्वेदी का मात दे दी. बीजेपी ने इसके बाद अगले 2 चुनावों में यहां से अपने उम्मीदवार को बदला और दोनों ही बार उसको जीत मिली.

खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. चांदला,गुन्नौर,मुरवारा, राजनगर,पन्ना, बहोरीबंद, पवई, विजयराघवगढ़ यहां की विधानसभा सीटें हैं. यहां की 6 सीटों पर बीजेपी और 2 पर कांग्रेस का कब्जा है.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नागेंद्र सिंह ने कांग्रेस के राजा पटेरिया को हराया था. इस चुनाव में नागेंद्र सिंह को 4,74,966(54.31 फीसदी)वोट मिले थे तो वहीं राजा पटेरिया को 2,27,476(26.01फीसदी) वोट मिले थे.दोनों के बीच हार जीत का अंतर 2,47,490 वोटों का था. वहीं बसपा 6.9 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी.

इससे पहले 2009 के चुनाव में भी बीजेपी को जीत मिली थी. बीजेपी के जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस के राजा पटेरिया को हराया था. जितेंद्र सिंह को 2,29,369 (39.34 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं राजा पटेरिया को 2,01,037(34.48 फीसदी) वोट मिले थे. जितेंद्र सिंह ने राजा पटेरिया को 28,332 वोटो से हराया था.वहीं बसपा 13.22 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.

सामाजिक ताना-बाना

2011 की जनगणना के मुताबिक खजुराहो की जनसंख्या 25,87,685 है. यहां की 81.78 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 18.22 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. खजुराहो में 18.57 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति और 15.13 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जनजाति के लोगों की है. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के चुनाव में 17,02,794 मतदाता थे. इसमें से 7,95,482 महिला मतदाता और 9,07,312 पुरुष मतदाता थे. 2014 के चुनाव में यहां पर 51.36 फीसदी मतदान हुआ था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

75 साल के नागेंद्र इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय से पढ़ाई किए हैं. 2014 का चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने नागेंद्र सिंह की संसद में उपस्थिति 81 फीसदी रही. उन्होंने संसद की 7 बहस में हिस्सा लिया. उन्होंने संसद में एक भी सवाल नहीं पूछा.

पद जो उन्होंने संभाले

2007 – 2008 कैबिनेट मंत्री,मध्‍य प्रदेश सरकार

2005 – 2007 राज्‍य मंत्री, गृह, तकनीकी शिक्षा जन संपर्क, मध्‍य प्रदेश सरकार

2008 – 2013 केबिनेट मंत्री, पी.डब्‍ल्‍यू.डी., मध्‍य प्रदेश सरकार

नागेंद्र सिंह को उनके निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए 22.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 22.89 करोड़ हो गई थी. इसमें से उन्होंने 17.79 यानी मूल आवंटित फंड का 79.07 फीसदी खर्च किया. उनका करीब 5.10 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया.

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