कोरोना से वरिष्ठ नागरिकों को बचाने के लिए परीक्षण जारी, 24 बुजुर्गों को लगाया BCG का टीका

कोरोना महामारी से बुजुर्गों को बचाने के लिए बीसीजी टीके पर परीक्षण चल रहा है। इसके तहत मुंबई में अब तक 24 बुजुर्गों को बीसीजी का टीका लगाया गया है। परीक्षण के लिए चयनित केंद्रों में से एक परेल स्थित केईएम हॉस्पिटल में इन लोगों को टीका लगाया गया है। टीबी यानी क्षय रोग से बचाव के लिए भारत में बच्चों को बीसीजी (बेसिल कैलमेट-गुएरिन) का टीका लगाया जाता है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा इस टीके का 60-75 साल के लोगों पर परीक्षण किया जा रहा है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में यह टीका कितना कारगर साबित हो रहा है। इसके तहत 250 बुजुर्गो को बीसीजी की एक खुराक दी जानी है।

केईएम हॉस्पिटल में बीसीजी टीकाकरण की देखरेख करने वाली डॉ. रुजुता हदये ने कहा कि चूंकि कोरोना संक्रमण से 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की मृत्युदर अधिक है, इसलिए यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या बीसीजी का टीका कोरोना वायरस को रोकने में कामयाब है। केईएम अस्पताल में 21 अगस्त से यह परीक्षण चल रहा है। उन्होंने बताया कि अभी तक जिन 24 लोगों टीका लगाया है, उनमें किसी तरह का विपरीत प्रभाव देखने को नहीं मिला है। ये लोग कोरोना से भी संक्रमित नहीं हुए हैं।

रूस ने अब दुकानों पर मिलेगी कोरोना की दवा

रूस का दावा है कि उसने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कारगर वैक्‍सीन तैयार कर ली है। इस बीच रूस ने कोरोना वायरस के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों को कोरोनावीर नामक दवा बेचने की मंजूरी दी दी है। अगले हफ्ते से दवा की दुकानों से डॉक्टर के पर्चे पर यह दवा खरीदी जा सकती है। पहले सिर्फ अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ही यह दवा देने की मंजूरी दी गई थी। कोरोनावीर आर-फार्मा की दवा है। रूस ने मई में एविफेवीर नामक दवा को भी कोरोना मरीजों को देने की मंजूरी दी गई थी। कोरोनावीर और एविफेवीर दोनों ही फेविपीरावीर के फॉर्मूले पर आधारित है, जिसे जापान ने विकसित किया था और वहां संक्रामक बीमारियों के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

 

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