कोरोना की दवाइयों की कालाबाजारी रूके, सस्ती दवाइयों को ब़़ढावा दिया जाए

संसद की एक समिति ने बुधवार को शीर्ष सरकारी अधिकारियों को कोविड-19 की दवाइयों की कालाबाजारी रोकने, उनकी कीमतें निर्धारित करने पर विचार करने और स्थानीय स्तर पर निíमत आसानी से उपलब्ध दवाइयों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और अन्य अधिकारियों ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति को कोविड-19 महामारी के प्रबंधन पर, चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाए जाने एवं आíथक गतिविधियों को बहाल किए जाने पर जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान समिति के सदस्यों ने रेमडेसिविर और टोसीलीजुमैब जैसी दवाइयों की कालाबाजारी पर चिंता प्रकट की। उन्होंने इन दवाइयों की कीमतों की अधिकतम सीमा भी निर्धारित करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि दलीय भावना से ऊपर उठकर सांसदों ने स्थानीय स्तर पर निíमत और आसानी से उपलब्ध दवाइयों को बढ़ावा देने का समर्थन करते हुए कहा कि फार्मास्यूटिकल लॉबी महंगे विकल्पों पर जोर देकर सस्ती दवाइयों को समाप्त करना चाहती है। समिति के सदस्यों को अधिकारियों द्वारा लॉकडाउन और देश में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने में इसके प्रभावी होने के बारे में भी जानकारी दी गई।

सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह सचिव भल्ला ने सरकार द्वारा संपूर्ण स्थिति से निपटे जाने के बारे में प्रस्तुति दी। सांसदों ने सुझाव दिया कि प्रवासी कामगारों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जाए क्योंकि यह उनकी सामाजिक सुरक्षा बेहतर करने में मदद करेगा। उन्हें राशन और सीधे बैंक खाते में पैसे दिए जाने चाहिए।

स्कूलों के लिए भी ये सुझाव दिए गए कि वे ऑनलाइन कक्षाओं के लिए एक समय निर्धारित करें और इस मुश्किल घड़ी में छात्रों को ऑनलाइन परामर्श उपलब्ध कराएं। दिल्ली में केंद्र द्वारा कोविड-19 संकट से निपटने के तौर तरीकों की सराहना करते हुए कुछ सदस्यों ने विचार प्रकट किया कि मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में इसी तरह की कोशिश किए जाने की जरूरत है। संक्रामक रोग से निपटने के लिए एक नए कानून का भी सुझाव दिया गया। सदस्य कोविड-19 की वैक्सीन के विकास की प्रगति के बारे में जानने के प्रति भी खासे उत्सुक थे।

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