काम के साथ क्रूपा संभाल रही हैं, बच्चों की जिम्मेदारी, अपनी कला से सोसायटी में बदलाव लाईं है…

मदर्स डे यानी मां का दिन। बच्चों के लिए ये दिन बेहद खास होता है। ये दिन है मां के समाजिक, आर्थिक, राजनीतिक शैक्षणिक और हर तरह के योगदान को सलाम करने का। मदर्स डे पर एक ऐसी ही सशक्त महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जो हमारे समाज के लिए एक मिसाल हैं। मुंबई का बच्चा बच्चा उन्हें जानता है। हाल ही में उन्होंने पर्यावरण को बचाने की मुहिम चलाई और ख्याति हासिल की। मुंबई की ‘क्रूपा शाह’ को सरस्वती का वरदान हासिल है। एक समर्पित मां से लेकर अच्छे कलाकार तक इन्हें कई रूपों से जाना जा सकता है। उन्हें बचपन से पेटिंग बनाने का शौक था। आज वो तीन बेटियों की मां हैं। काम के साथ-साथ वे अपनी गृहसिथू भी बेहद अच्छे से संभाल रही हैं। वो समाजिक कार्यों में शुरू से ही रूचि रखती थीं। 

इन्होंने अनेक काम किए। महाराष्ट्र में सूखे की चपेट में आकर किसान परेशान थे, तब क्रूपा शाह ने किसानों की मदद के लिए फंड जुटाया। क्रूपा शाह ने उन सैकड़ों बच्चों को कल्पना का कैनवास दिया, जो अपनी आंखों से दुनिया की सुंदरता को कभी नहीं देख पाए। इसके लिए उनके काम को बेहद सराहा गया। आप सोच भी नहीं सकते कि जो जो बच्चे देख नहीं सकते वो दुनिया की खूबसूरती को बखूबी कैनवास पर उतार देते हैं। कहते हैं जब एक महिला की तरक्की होती है तो पूरे समाज की तरक्की होती है। कल्पना शाह इस बात का एक अच्छा उदहारण हैं। देश की तमाम महिलाओं को उनसे सीखने की जरूरत है।

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