उत्तराखंड रोडवेज बस सेवा इन राज्यों के लिए फिर होगी शुरू, जानें- रज्यों के नाम….

उत्तर प्रदेश के साथ ही पांच राज्यों के लिए रोडवेज बस सेवा फिर शुरू करने जा रहे उत्तराखंड रोडवेज की बसें फिलहाल दिल्ली में प्रवेश नहीं कर सकेंगी। दरअसल, दिल्ली ने बसों की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। ये प्रतिबंध केवल उत्तराखंड पर ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों की बसों पर भी है। इस सूरत में उत्तर प्रदेश की बसें गाजियाबाद में अपने कौशांबी बस अड्डे तक जा रही हैं। उत्तराखंड को भी उत्तर प्रदेश ने कौशांबी तक बसों के संचालन का प्रस्ताव दिया है। वहां से दूसरे साधनों से यात्रियों को दिल्ली जाना पड़ेगा।

कोरोना के चलते 22 मार्च से उत्तराखंड में अंतरराज्यीय परिवहन बंद पड़ा है। गत कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की ओर से उत्तराखंड राज्य में बस संचालन फिर शुरू करने की अपील की जा रही। उत्तर प्रदेश ने तो रूटवार बसों का चार्ट बनाकर भी भेजा हुआ। उत्तराखंड रोडवेज और परिवहन विभाग भी सरकार से बस सेवाओं के आवागमन की मांग कर रहे थे। ऐसा इसलिए भी है कि अब उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों की बसें एक-दूसरे प्रदेशों में आने-जाने लगी हैं।

वहीं, बसें संचालित नहीं होने से उत्तराखंड रोडवेज घाटे में डूब चुका है और अब सरकार के लिए भी उसे वेतन उपलब्ध करा पाना टेढ़ी खीर बन गया है। ऐसे में सरकार ने अंतरराज्यीय परिवहन खोलने पर हामी भर दी है। आज-कल में इसके आदेश हो सकते हैं। वहीं, रोडवेज ने भी बस संचालन की तैयारी कर ली है। यह भी बताया जा रहा कि हिमाचल के साथ ही चंडीगढ़ के लिए भी बस सेवा शुरू की जाएगी। अब अपनी बसें हल्द्वानी, नैनीताल और कुमाऊं मंडल के अन्य जनपदों में भी जा सकेंगी।

सर्वोच्च न्यायालय में लगाई केविएट

उत्तराखंड उच्च न्यायालय की ओर से 31 अगस्त को दिए गए उत्तर प्रदेश सरकार को परिसंपत्तियों के बंटवारे से संबंधित 27.63 करोड़ रुपये का भुगतान उत्तराखंड रोडवेज को करने के आदेश के क्रम में उत्तराखंड ने सर्वोच्च न्यायालय में केविएट दाखिल कर दी है। रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने चार हफ्ते के भीतर यह धनराशि हस्तांतरित करने के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक उत्तर प्रदेश ने भुगतान नहीं किया। उत्तराखंड को आशंका थी कि उत्तर प्रदेश मामले में सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी में है, इसलिए उत्तराखंड रोडवेज की ओर से इसमें पहले ही केविएट दाखिल कर दी गई।

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