इस मामले में मोदी ने सभी प्रधानमंत्रियों को पीछे छोड़ दिया,

इस मामले में मोदी ने सभी प्रधानमंत्रियों को पीछे छोड़ दिया, रूढ़ियों को किया खत्म।

देश के वर्तमान पीएम मोदी अनेक मामलों में दुसरों से अलग है। मोदी देश के पहले पीएम है जिनका कोई भी पारिवारिक सदस्य ना तो सरकार में किसी पद पर है और ना ही कोई उनके साथ प्रधानमंत्री आवास में रहता है।इस मामले में मोदी ने सभी प्रधानमंत्रियों को पीछे छोड़ दिया,

आज तक यही देखने को मिला कि देश के ज्यादातर पीएम परिवार वाले है। नेहरू जी अपनी बेटी इंदिरा के साथ रहते थे। शास्त्री जी तो अपने भरे पूरे कुनबे के साथ पीएम आवास में रहते थे। इंदिरा भी अपने दोनों बेटों और उनके परिवारों के साथ वहां रहती थी। यहां तक की अविवाहित पीएम वाजपेयी भी अपनी दत्तक पुत्री नम्रता और दामाद रंजन भट्टाचार्य के साथ 7, रेसकोर्स में रहते थे।

गौरतलब है कि मोदी संघ से जुड़े है। जिसके नियमों के मुतबिक प्रचारक को परिवार के सदस्यों से दूरी बनाये रखनी होती है। अब संघ का नियम हो और उसपर मोदी अमल ना करे। मोदी ने 1971 में ही परिवार से दूरी बना ली। इसमें पूरा सहयोग दिया उनके परिवार ने। मोदी स्वयं कहते है कि- “सचमुच मेरे भाइयों और भतीजों को इसका श्रेय दिया जाना चाहिए कि वे साधारण जीवन जी रहे हैं और कभी मुझ पर दबाव बनाने की कोशिश नहीं करते। आज की दुनिया में यह वाकई दुर्लभ है।”

मोदी का परिवार कितना पीछे छूट चुका है? यह जानना हो तो एक बार गुजरात का चक्कर लगा ले। उनका कुनबा आज भी उसी तरह जिंदगी जी रहा जैसा उनके सीएम बनने से पहले जी रहा था। पीएम के एक भाई अमृत भाई एक प्राइवेट कंपनी में फिटर थे। जो अब रिटायर होकर अहमदाबाद के घाटलोदिया में अपने बेटे, बहू और उनके बच्चों के साथ रहते है।उनके एक भाई सोमभाई अपने पैतृक शहर वडनगर में वृद्धाश्रम चलाते है। वो पिछले कई सालों से पीएम से नहीं मिले।

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पीएम के छोटे भाई पंकज गुजरात सूचना विभाग में अफसर है। उनका मिलना पीएम से महीने दो महीने में होता रहता है क्योंकि उनकी माँ हीराबेन उनके साथ गांधी नगर के 3 कमरें के मकान में उनके साथ रहती है। जिससे मिलने पीएम मोदी जाते रहते है। उनके बड़े भाई भरत भाई वडनगर से 80km दूर पालनपुर के पास के पेट्रोलपंप पर 6000रुपये महीने पर अटेंडेंट का काम करते है। उनकी पत्नी घर में ही किराना का दुकान चलाती है।

एक भाई चंद्रकांत भाई अहमदाबाद में एक पशु गृह में हेल्पर का काम करते है। उनके चचेरे भाई अरविंद कबाड़ी का काम करते है। मोदी के कुनबे उनके कजन ब्रदर्स और उनके बच्चों का जीवन संघर्षों और कठिनाइयों का है। वे बेहद तंगी में अपना जीवन गुजार रहे। मोदी के चचेरे भाई अशोकभाई तो वडनगर के धिकांटा बाजार में ठेले पर पतंगे, पटाखे और कुछ खाने-पीने की चीजे बेचते है। कोई रिश्तेदार अभी भी चाय की दुकान चलाते है या छोटा- मोटा धंधा करते है।

इससे पहले कभी किसी पीएम के बारे में ऐसा देखने को नही मिला। आज जब हर छोटा बड़ा नेता वंशवाद को बढ़ावा देने में लगा है। पर पार्टी में यही देखने को मिल रहा। ऐसे में मोदी के कुनबे का मोदी से दूर रहकर उन्हें देश चलाने में मदद करना मिसाल से कम नही। मोदी का मानना है कि सत्ता के साथ किसी तरह का जुड़ाव उन्हें भ्रष्ट कर सकता है। यह भी सच है इससे भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से उनकी छवि पर असर पड़ सकता है। इस वजह से भी उन्हें अपने परिवार को दूर रखना पड़ता है।

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