बिलासपुर से 25 किलो मीटर दूर रतनपुर में स्थित आदि शक्ति मां महामाया देवी का मंदिर देश के 51 शक्ति पीठों में एक है। इस मंदिर को लेकर कई किवदंतियां प्रचलित हैं।
मंदिर में रोज घूमने आते हैं हनुमान, अपने आप बजने लगते हैं मंदिर की घंटे
 कहा जाता है कि 1045 ईस्वी में राजादेव रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में रात्रि के समय एक वट वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे। अर्धरात्रि में आंख खुली तो वट वृक्ष के नीचे अलौकिक प्रकाश देखकर चमत्कृत हो गए। वहां आदिशक्ति मां महामाया की सभा हो रही थी। इतना देख राजा बेसुध हो गए।
कहा जाता है कि 1045 ईस्वी में राजादेव रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में रात्रि के समय एक वट वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे। अर्धरात्रि में आंख खुली तो वट वृक्ष के नीचे अलौकिक प्रकाश देखकर चमत्कृत हो गए। वहां आदिशक्ति मां महामाया की सभा हो रही थी। इतना देख राजा बेसुध हो गए।सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, अमरनाथ यात्रा पर जाएंगे मुस्लिम श्रद्धालु
 
माता वैष्णों देवी के दर्शन करने वालों के लिए की गई एक और बड़ी घोषणा
महामाया मंदिर में माता का दाहिना स्कंध गिरा था। भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्तिपीठ नाम दिया था।कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से कुंवारी लड़कियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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