इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इस नए शैक्षणिक सत्र 2019-20 में भी शिक्षकों का टोटा बना रहेगा…

पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इस नए शैक्षणिक सत्र 2019-20 में भी शिक्षकों का टोटा बना रहेगा। ऐसे में इस सत्र में भी अतिथि प्रवक्ताओं की भरोसे ही कक्षाएं चलेंगी। मानव संसाधन मंत्रालय (एमएचआरडी) की ओर से शिक्षक भर्ती पर रोक लगाए जाने से इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं।

शिक्षकों के आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं-  इविवि में लंबे समय से शिक्षकों के आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं। शिक्षकों का टोटा खत्म करने के लिए 23 अप्रैल को 558 पदों पर भर्ती के लिए विस्तृत विज्ञापन निकाला गया। इसमें असिस्टेंट प्रोफेसर के 336, एसोसिएट प्रोफेसर के 156 और प्रोफेसर के 66 पदों पर भर्ती होनी थी। आवेदन की अंतिम तिथि 22 मई निर्धारित की गई। ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही थी कि जुलाई में नए शैक्षणिक सत्र में भर्ती प्रक्रिया पूरी की ली जाएगी। एमएचआरडी ने सारे मंसूबे पर पानी फेर दिया। मंत्रालय ने पिछले दिनों इविवि के संघटक महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती में अनियमितता की शिकायत पर शिक्षक भर्ती पर रोक लगा दी। 

मंत्रालय को शिक्षकों का टोटा बताएगा आटा-  इविवि में शिक्षकों की कमी के बारे इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (आटा) की ओर से एचआरडी को जानकारी दी जाएगी। इसके लिए आटा की ओर से मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र लिखा गया है। मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को भेजे गए पत्र में आटा के अध्यक्ष प्रो. रामसेवक दुबे और महामंत्री प्रो. शिवमोहन प्रसाद ने बताया कि इविवि देश के चार प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है। यहां शिक्षकों की भर्ती वर्ष 1996 के बाद से आज तक पूर्ण रूप से संपन्न नहीं हो सकी। ऐसे में वर्तमान में तीन चौथाई पद रिक्त हैं। पत्र में कहा गया है कि जिस विवि में करीब तीस हजार छात्र पढ़ाई करते हैं, वहां महज तीन सौ शिक्षकों के भरोसे पढ़ाई कैसे हो सकेगी। आटा की ओर से कहा गया है कि वह केवल दस मिनट के लिए मुलाकात करना चाहते हैं। 

 

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