इंग्लैंड के महान बल्लेबाज ज्योफ्री बायकॉट रविवार को अपना 78वां जन्मदिन मना रहे हैं

बायकॉट के करियर कई बार विवादों में रहा. बायकॉट का करियर 1962 से शुरु हुआ और 1986 तक चला.  उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच 1964 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था. शुरुआत से ही उन्होंने अपनी सबको अपनी बल्लेबाजी का कायल बना लिया और लंबे समय तक इंग्लैंड के लिए सलामी बल्लेबाजी की. 

बायकॉट का जन्म 21 अक्टूबर 1940 को यार्कशायर के वेस्ट रिजिंग के फिट्सविलियम में हुआ था. उनके पिता कोयले की खान  में काम करते थे. तीन भाइयों में वे सबसे बड़े थे. स्कूल के दिनों से ही बायकॉट ने सभी को अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों का ही कायल बना दिया था. 15 साल की उम्र में उन्होंने अपने स्कूल टीम की कप्तानी भी की थी. 1962 में काउंटी क्रिकेट खेलने के बाद बायकॉट ने कभी पीछे मुड़के नहीं देखा. 

बेहतरीन रिकॉर्ड रहा था टेस्ट में

अपने 108 टेस्ट मैचों की 193 पारियों मं 23 बार नॉटआउट रहकर बायकॉट ने 47.73 के औसत से एक दोहरे शतक, 22 शतक और 42 अर्द्धशतकों के साथ कुल 8114 रन बनाए. हालाकि जितना शानदार उनका टेस्ट करियर रहा, वनडे करियर उतना शानदार नहीं रहा. उन्होंने केवल 36 वनडे खेल जिसमें एक शतक और 9 अर्द्धशतक लगाते हुए 36.07 के औसत कुल 1082 रन बनाए. इसके अलावा टेस्ट में उनकी गेंदबाजी में उन्होंने 108 मैचों की 20 पारियों में 54.57 के औसत के 7 विकेट लिए और 36 वनडे की 6 पारियों में गेंदबाजी कर 3.75 की इकोनॉमी से 5 विकेट लिए.

बीच में क्रिकेट छोड़ भी दिया था बायकॉट ने

साल 1974 और 1977 के बीच बायकॉट क्रिकेट से दूर रहे. हालांकि बायकॉट का कहना है कि उनका मन क्रिकेट से काफी उचट गया था, उनकी जीवनी लिखने वाले मैकिंस्ट्रे का मानना है कि उनके क्रिकेट से दूर होने में उनकी माइक डेनिस और टोनी ग्रेग की कप्तानी भी थी जिनके बायकॉट मुखर आलोचक रहे थे. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि बायकॉट उस समय के ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डेनिस लिली और जेफ थामसन के खौफ के कारण क्रिकेट से दूर हुए थे. लेकिन साल 1979 में ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने इन दोनों ही गेंदबाजों का बेखौफ सामना किया और पर्थ जैसी तेज पिच पर नाबाद 99 रन बनाए. 

ऐतिहासिक वापसी
 

1977 में बायकॉट ने ऐतिहासिक वापसी की और दो शतक लगाए, और कहा जाता है कि इस सीरीज में उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के लिए उनका विकेट हासिल करना बहुत ज्यादा मुश्किल बना दिया था. बायकॉट पहले ऐसे अंग्रेज बल्लेबाज थे जिनका एक सीजन में औसत 100 से ज्यादा का था ऐसा उन्होंने दो बार 1971 और 1979 में किया था. 

रंगभेद पर इंग्लैंड के बागी क्रिकेटर रहे थे बायकॉट

जब दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद नीति के कारण उसके साथ सभी देशों ने अपने रिश्ते समाप्त कर दिये थे तब 1982 में इंग्लैंड के बागी खिलाड़ियों का दक्षिण अफ्रीकी दौरा कराने में बायकॉट ने अहम भूमिका निभाई थी. इस वजह से उन पर तीन साल का प्रतिबंध भी लगाया गया था. जिसके बाद उनके करियर का अंत हो गया. 

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