अमेरिकी बच्चों से ज्यादा होनहार हमारे लाल, केले का डीएनए आइसोलेशन कर ठोका रिकार्ड का दावा

हमारे लाल अमेरिकी बच्चों से ज्यादा होनहार निकले। महज 90 मिनट में जीडी गोयनका के 550 बच्चों ने केले का डीएनए अलग कर गिनीज बुक में नाम शामिल करने की दावेदारी ठोक दी। इससे पहले यह रिकार्ड 18 फरवरी, 2017 को अमेरिका स्थित वाशिंगटन में 302 बच्चों द्वारा बनाया गया था।हमारे लाल अमेरिकी बच्चों से ज्यादा होनहार निकले। महज 90 मिनट में जीडी गोयनका के 550 बच्चों ने केले का डीएनए अलग कर गिनीज बुक में नाम शामिल करने की दावेदारी ठोक दी। इससे पहले यह रिकार्ड 18 फरवरी, 2017 को अमेरिका स्थित वाशिंगटन में 302 बच्चों द्वारा बनाया गया था।  शनिवार को शहीद पथ स्थित जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में लंदन से आए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधि ऋषिनाथ की निगरानी में सीमित समय के अंदर केले के डीएनए को आइसोलेशन करना था। इसमें सातवीं क्लास से बारहवीं क्लास तक के बच्चे शामिल हुए। निश्चित अवधि में इस लक्ष्य को पाना इतना आसान न था, मगर बच्चों के मनोबल और उत्साह ने इस बड़ी चुनौती का इतना सरल बना दिया, जिसकी उम्मीद खुद गिनीज बुक की टीम को भी न था। टीम के प्रतिनिधि ऋषि ने खुद इस बात को माना कि सभी बच्चों की सहभागिता के कारण ही यह नया रिकार्ड स्थापित करना संभव हो सका है। उन्होंने बताया कि डीएनए टेस्ट आम हो चुका है।  विज्ञान के दौर में बच्चों को सिर्फ डीएनए की जानकारी होना ही नहीं बल्कि खुद डीएनए आइसोलेट करना एक बड़ा विषय है। बच्चों ने बफर इंजेक्शन से डीएन को निकाल इस खिताब को अपने नाम कर लिया। रिकॉर्ड की घोषणा के बाद बच्चों की खुशी का ठिकाना न रहा। वहीं टीचर्स ने भी इस खुशी में भरपूर साथ दिया। गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड टीम की ओर से जीडी गोयनका स्कूल के प्रबंधक सर्वेश गोयल व उनकी टीम को प्रमाणपत्र पत्र देकर सम्मानित किया गया।

शनिवार को शहीद पथ स्थित जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में लंदन से आए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधि ऋषिनाथ की निगरानी में सीमित समय के अंदर केले के डीएनए को आइसोलेशन करना था। इसमें सातवीं क्लास से बारहवीं क्लास तक के बच्चे शामिल हुए। निश्चित अवधि में इस लक्ष्य को पाना इतना आसान न था, मगर बच्चों के मनोबल और उत्साह ने इस बड़ी चुनौती का इतना सरल बना दिया, जिसकी उम्मीद खुद गिनीज बुक की टीम को भी न था। टीम के प्रतिनिधि ऋषि ने खुद इस बात को माना कि सभी बच्चों की सहभागिता के कारण ही यह नया रिकार्ड स्थापित करना संभव हो सका है। उन्होंने बताया कि डीएनए टेस्ट आम हो चुका है।

विज्ञान के दौर में बच्चों को सिर्फ डीएनए की जानकारी होना ही नहीं बल्कि खुद डीएनए आइसोलेट करना एक बड़ा विषय है। बच्चों ने बफर इंजेक्शन से डीएन को निकाल इस खिताब को अपने नाम कर लिया। रिकॉर्ड की घोषणा के बाद बच्चों की खुशी का ठिकाना न रहा। वहीं टीचर्स ने भी इस खुशी में भरपूर साथ दिया। गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड टीम की ओर से जीडी गोयनका स्कूल के प्रबंधक सर्वेश गोयल व उनकी टीम को प्रमाणपत्र पत्र देकर सम्मानित किया गया।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com