अब लखनऊ का हुसैनाबाद भी हुआ शाहीन बाग: CM योगी ने लिया बड़ा एक्शन

राजधानी लखनऊ के हुसैनाबाद स्थित घंटाघर पर सीएए व एनआरसी के विरोध में चल रहे प्रदर्शन पर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस ने कई महिलाओंं और पुरुषों को गिरफ्तार किया है। वहीं, अब घंटाघर पर आरएएफ तैनात कर दी गई है।

शनिवार को लखनऊ पुलिस ने घंटाघर से पुरुषों की भीड़ को हटाया और प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं के बीच से पूजा शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा पुलिस ने पुरुषों पर एफआईआर कर मौजूद वॉलिंटियर्स को गिरफ्तार किया है।

कार्रवाई के बाद घंटाघर पर आरएएफ तैनात कर दी गई है। वहीं, प्रदर्शन कर रहीं महिलाओंं ने पुलिस पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। पुलिस लगातार घंटाघर के आस-पास गस्त कर रही है।

आपको बता दें कि हुसैनाबाद स्थित घंटाघर पर सीएए व एनआरसी के विरोध में शनिवार को लगातार नौवें दिन महिलाओं का प्रदर्शन जारी था। प्रदर्शन स्थल पर रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम और सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा जैसे देशभक्ति गीतों से विरोध को धार दी जा रही थी। इस दौरान पुलिस ने कार्रवाई कर दी।

इससे पहले सीएए व एनआरसी के विरोध में शुक्रवार को लगातार आठवें दिन महिलाओं का प्रदर्शन जारी रहा। प्रदर्शन में हिंदू महिलाएं भी मौजूद रहीं। शाम को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक भी प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ाया।

स्वामी सारंग भी शुक्रवार को घंटाघर पहुंचे और महिलाओं का हौसला बढ़ाया। सीएम योगी के बयान की निंदा करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून में संशोधन कर सरकार एनआरसी पर अपना नजरिया साफ करे।  उधर गोमतीनगर में भी लगातार पांचवें दिन महिलाओं का प्रदर्शन जारी रहा। प्रदर्शनकारियों ने संविधान रक्षा की दुआ करते हुए रोजा रखा और शाम को इफ्तार किया।

शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक बीमारी की हालत में भी शुक्रवार को व्हीलचेयर से घंटाघर पहुंचे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को किसी से डरने की जरूरत नहीं है। गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी के बयान पर उन्होंने नाराजगी भी जताई। साथ ही कहा कि रात में प्रदर्शन स्थल की लाइट काट देना कहां का न्याय है। लोकतांत्रिक देश संविधान से चलेगा, तानाशाही से नहीं।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद ने देर रात घंटाघर पहुंच कर महिलाओं को समर्थन दिया। भरोसा दिलाया कि किसी भी कीमत पर संविधान को कमजोर नहीं होने देंगे। ये लड़ाई डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान को बचाने की है। विरोध करने वालों पर दर्ज हो रहे मुकदमों पर कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। अधिवक्ताओं ने रात में तिरंगा यात्रा भी निकाली।

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