होली का महापर्व साधना का पर्व कहा जाता है: धर्म

फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है। रंगो के इस त्योहार की धूम देशभर में देखने को मिलती है। होली के दिन लोग एक दूसरे को अबीर-गुलाल, रंग लगाते हैं। होली का त्योहार फाल्गुन माह में होलिका दहन से शुरू होता है।

कुछ लोगों के लिए पर्व की छुट्टी सोने के लिए लकी ड्रा के समान होती है और लोग उस दिन देर तक सोते हैं या फिर कुछ लोग शाम के समय सोते हैं। होली का पर्व साधना का पर्व है। इस शुभ दिन सुबह और शाम को न सोएं। होली के दिन सिर्फ बीमार, वृद्ध और गर्भवती स्त्री को ही सोने की इजाजत है।

होली के दिन घर में किसी भी मनमुटाव न रखें और न ही किसी से झगड़ा करें। इस दिन किसी भी प्रकार की तू-तू, मैं-मैं करने से बचें और परिजनों, मित्रों के साथ पर्व का पूरा आनंद लें।

होली के दिन किसी पर भूलकर भी क्रोध न करें। ध्यान रहे कि जिसके घर में लोग बात-बात में क्रोध करते हैं और जिनके यहां हर समय  कलह होती रहती है, उनके घर पर लक्ष्मी नहीं आती है।

होली के दिन भूलकर भी घर में अपशब्द का प्रयोग न करें और न ही किसी के साथ कोई अभद्र व्यवहार करें। होली के पावन पर्व पर महिलाओं की मर्यादा और बुजुर्गों के सम्मान का पूरा ख्याल रखें। रंग डालते समय इस बात का पूरा ख्याल रखें कि वह दूसरे व्यक्ति की आंख, नाक, कान, मुंह में न जाने पाए।

होलाष्टक लगने के बाद मुंडन, सगाई, विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य न करें। होली के दिन भूलकर भी पैसों का लेन–देन न करें। न तो किसी से कर्ज लें और न ही किसी को दें।

 

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