सावधान: फर्जी इंश्योरेंस रैकेट देश में हुआ सक्रिय इंश्योरेंस के फर्जी कागज बनाकर मोटी कमाई कर रहे ठग

अगर आप गाड़ियों का इंश्योरेंस आरटीओ के बाहर संचालित कैफे सेंटर या दलालों से करवा रहे हैं तो सावधान रहें, कहीं ऐसा न हो कि दलाल आपको फर्जी इंश्योरेंस की रसीद थमा दें और बाद में आपको परेशानी झेलनी पड़े। आरटीओ के बाहर तमाम ऐसे दलाल सक्रिय हैं जो वाहन स्वामियों को झांसा देकर फर्जी इश्योरेंस करवा रहे हैं।
जब इन इश्योरेंस के कागजातों की परिवहन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा जांच कराई जा रही है तो वह फर्जी पाए जा रहे हैं। देहरादून एआरटीओ प्रशासन द्वारिका प्रसाद के मुताबिक इस तरह के कई मामले सामने आए हैं। जिसमें जांच के आदेश जारी किए गए हैं।

साथ ही विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को हिदायत दी गई है कि वे दस्तावेजों में जो भी इंश्योरेंस कागजात लगाए जा रहे हैं। बीमा कंपनियों के अधिकारियों से संपर्क कर उनका भौतिक सत्यापन कराया जाए, ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि जो इंश्योरेंस कागजात दिए गए हैं वे असली है या फर्जी।

इतना ही नहीं द्वारिका प्रसाद ने बताया कि कई वाहन स्वामियों की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई है कि कई साइबर कैफे संचालकों द्वारा आनलाइन आवेदन करने के एवज में निर्धारित शुल्क से कई गुना अधिक वसूला जा रहा है।
इस समस्या से वाहन स्वामियों को निजात दिलाने के लिए आरटीओ दफ्तर परिसर में कामन सर्विस सेंटर खोलने की योजना बनाई जा रही है ताकि वाहन स्वामियों को सहूलियत हो सके। कामन सर्विस सेंटर खोलने के बाद आवेदन करने के एवज में सिर्फ 30 रुपया लिया जा सकेगा। जबकि वर्तमान में साइबर कैफे संचालकों द्वारा 100 से लेकर 200 रुपये तक अधिक वसूले जा रहे हैं।
शहर में फर्जी इंश्योरेंस रैकेट सक्रिय है। रैकेट से जुड़े लोग वाहनों के इंश्योरेंस के फर्जी कागज बनाकर मोटी कमाई कर रहे हैं। ऐसे कई मामले आरटीओ की जांच में पकड़े जा चुके हैं। ताजा मामला एक ट्रैक्टर का है। इंश्योरेंस के कागज फर्जी मिलने पर आरटीओ ने मालिक को नोटिस जारी किया तो उसने फर्जीवाड़े का इल्जाम इश्यारेंस एजेंट पर लगा दिया। ट्रैक्टर मालिक की तहरीर पर पुलिस भी मामले की जांच कर रही है।

अधोईवाला के आरके पुरम निवासी जुल्फिकार ने परिवहन विभाग मेें ट्रैक्टर (यूके-07 4367) के इंश्योरेंस समेत अन्य कागजात जमा कराए थे। एआरटीओ द्वारिका प्रसाद के निर्देश पर जब कर्मचारियों ने बीमा कंपनी से जानकारी ली तो कागजात फर्जी निकले। एआरटीओ द्वारिका प्रसाद का कहना है कि जांच कराई जा रही है।

दूसरी ओर जुल्फिकार ने इस संबंध में एसएसपी/डीआईजी अरुण मोहन जोशी से शिकायत करते हुए इंश्योरेंस करने वाले दलाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस पर पुलिस ने इश्योरेंस करने वाले दलाल को हिरासत में लेकर पूछताछ की। हालांकि पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे छोड़ दिया गया।

कुछ दिन पहले जुल्फिकार ने ही आरटीओ कर्मचारी पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए विजिलेंस में शिकायत की थी। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए विजिलेंस टीम ने आरटीओ के एक कर्मचारी व दो दलालों समेत तीन को गिरफ्तार कर लिया था। इसकी अभी जांच की जा रही है।

दलालों द्वारा नामीगिरामी बीमा कंपनियों के नाम पर फर्जी बीमा कागजात तैयार किए जाने का एक और मामला सामने आया। उप परिवहन आयुक्त सुधांशु गर्ग की ओर से की गई औचक जांच में फर्जी बीमा इंश्योरेंस का मामला उजागर हुआ।
दूसरी ओर परिवहन सचिव व आयुक्त शैलेश बगोली ने फर्जी इंश्योरेंस मामले को गंभीरता से लेते हुए अधीनस्थ अधिकारियों को औचक जांच करने व फर्जी इंश्योरेंस करने वालों के खिलाफ  कड़ी कार्रवाई करने का जारी किया है।
उप परिवहन आयुक्त सुधांशु गर्ग ने बताया कि बृहस्पतिवार को वह गाड़ियों की औचक जांच कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने एक वाहन स्वामी को फर्जी बीमा दस्तावेजों के साथ पकड़ लिया।
उप परिवहन आयुक्त गर्ग ने जब संबंधित बीमा कंपनी के अधिकारियों से संपर्क साधा और बीमा कागजातों की बाबत जानकारी दी तो कंपनी अधिकारियों ने यह तर्क देते हुए पल्ला झाड़ लिया कि कंपनी द्वारा संबंधित वाहन स्वामी का कोई बीमा नहीं किया गया है।
आखिरकार प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए उप परिवहन आयुक्त ने गाड़ी का चालान कर दिया। इतना ही नहीं उप परिवहन आयुक्त ने भी सभी आरटीओ व एआरटीओ प्रवर्तन को निर्देशित किया है कि वे अपने अपने स्तर पर फर्जी बीमा दस्तावेंजों की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई करें।
फर्जी इंश्योरेंस का मामला उजागर होने के बात आरटीओ द्वारिका प्रसाद ने कार्यालय में सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि वे गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन, ट्रांसफर या फिर अन्य दस्तावेज तैयार करते समय बीमा से संबंधित दस्तावेजों की गहनता से जांच करें।
उप परिवहन आयुक्त सुधांशु गर्ग का कहना है कि यदि किसी भी वाहन स्वामी का बीमा फर्जी है और संयोगवश कोई हादसा हो जाता है तो बीमा कंपनियों क्लेम नहीं मिलेगा। ऐसे में वाहन स्वामियोें को दलालों के चक्कर में न पड़कर बीमा कंपनियों के दफ्तरों में जाकर ही बीमा कराना चाहिए

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