शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल देते हैं उन्हें न्यायाधिपति भी कहा जाता है

शनिदेव जितना व्यक्ति को कष्ट देते हैं उतना ही मालामाल और सुखी भी बना देते हैं। शनि की अशुभ छाया पड़ने मात्र से ही व्यक्ति के सारे बनते हुए काम बिगड़ने लगते हैं उसे तरह-तरह के कष्ट और बीमारियां घेरने लगती हैं।

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि ऐसा तभी होता है जब व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ भाव में आकर बैठे हों या फिर जातक के कुछ बुरे कर्मों का परिणाम हो सकता है। वहीं शनि की शुभ छाया पड़ने मात्र से ही व्यक्ति के द्वारा थोड़े प्रयास करने से ही उन्हें हर कार्य में सफलता और तरक्की मिलने लगती है।

शनि को सभी नौ ग्रहों में न्यायाधिपति का दर्जा प्राप्त हुआ है। यानी शनि व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल देते हैं। माना जाता है कि अच्छे काम करने वालों को शनि अच्छा फल और बुरा काम करने वालों को बुरा फल प्रदान करते हैं।

अगर किसी की कुंडली में शनि अशुभ भाव में बैठे हों लेकिन उस व्यक्ति के कर्म अच्छे हों तो इस स्थिति में भी शनि की अशुभ छाया नहीं पड़ती है। 12 राशियों में तीन राशियां ऐसी होती है जिन पर शनि देव की कृपा जीवनभर बनी रहती है।

इसका कारण इस राशि के जातक हमेशा मेहनत और अच्छे कर्म करने पर विश्वास रखते हैं। इसी कारण से हमेशा शनिदेव का आशीर्वाद मिलता रहता है।

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