लक्ष्य कितना ही बड़ा क्यों न हो, उसे पूरा करने के लिए पूरे मनोयोग से पूरा करने के लिए जुट जाना चाहिए: आचार्य चाणक्य

चाणक्य को एक कुशल अर्थशास्त्री और विद्वान के रूप में जाना जाता है. चाणक्य एक विख्यात शिक्षक भी थे. उनका नाता तक्षशिला विश्वविद्यालय से भी था.

कौटिल्य और विष्णु गुप्त के नाम से भी उन्हें जाना जाता है. उनकी शिक्षाएं व्यक्ति को बिना रूके आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. उनकी शिक्षाएं चाणक्य नीति में निहित हैं. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति-

आचार्य चाणक्य के अनुसार जो अपने कर्मचारियों या अधिनस्थों का सम्मान नहीं करता है, उन्हें बात बात पर प्रताणित और बेइज्जत करता है. ऐसे लोग कभी भी कुशल नेतृत्वकर्ता नहीं बन सकते हैं.

अच्छा नेतृत्वकर्ता वही है जो अपने छोटे बड़े सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलता है. अच्छा नेतृत्वकर्ता हमेशा अपने अधिनस्थों को प्रोत्साहित करता है. उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता है.

जो अपने कनिष्ठों के साथ अच्छा बर्ताब नहीं करता है उन्हें छोटा दिखाकर अपने को बड़ा दिखने की कोशिश करता है उसे जीवन में कभी उच्च पद प्राप्त नहीं होता है, हो भी जाए तो वह अधिक दिनों तक उस पद पर विराजमान नहीं रह पाता है. अच्छा नेतृत्वकर्ता मृदुभाषी, अच्छा रणनीतिकार, कार्य में कुशल, अपने सहयोगियों का ध्यान रखने वाला होता है.

अपने कार्य को लेकर व्यक्ति को हमेशा शत प्रतिशत ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ होना चाहिए. जो व्यक्ति अपने जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए दिन,रात, मौसम और समय की परवाह नहीं करता है वह व्यक्ति जीवन में सदैव सफलता की ऊंचाईयों को छूता है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए.

लक्ष्य कितना ही बड़ा क्यों न हो, उसे पूरा करने के लिए पूरे मनोयोग से पूरा करने के लिए जुट जाना चाहिए. जब तक इस लक्ष्य को पूरा न कर लें तब तक व्यक्ति को आराम से नहीं बैठना चाहिए. सफलता के सोपान पर व्यक्ति विराजमान होता है जो अपने लक्ष्यों को पूरा करता है.

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