रेशम फातिमा अपने ऊपर हुए एसिड अटैक के बावजूद नहीं डरी, और किया प्रदेश का नाम रौशन

आइए हम आपको एक ऐसी शक्ति स्वरूपा बेटी की कहानी बताते हैं जिसने न केवल बहादुरी के बल पर प्रदेश का नाम रोशन किया बल्कि अपने जैसे लोगों के लिए एक नई प्रेरणा भी बन गई। एसिड अटैक के बावजूद शिक्षा के बल पर खुद ऐसे हादसों को रोकने का सपना संजोए इस छात्रा ने प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कराने वाले एक अंतरराष्ट्रीय कोचिंग में ऑल इंडिया टेस्ट में अपनी जगह बना ली। आइएएस बनकर अपनी जैसी छात्राओं के लिए वह नजीर पेश कर रही हैं। हम बात कर रहे हैं कानपुर रोड के बदालीखेड़ा निवासी 21 वर्षीय रेशम फातिमा की।

2014 में जब वह 11 की कक्षा में पढ़ रही थीं तभी स्कूल से आते समय उसके साथ बदसलूकी की गई और विरोध करने पर दरिंदे ने उसके चेहरे पर तेजाब डाल दिया। झुलसा चेहरा और दर्द से कराहती रेशम ने हिम्मत दिखाई और रमाबाई रैली स्थल के पुलिस चौकी तक पहुंच गई। वहां से आननफानन उसे लोकबंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेशम फातिमा को भारत अवॉर्ड के रूप में गोल्ड मेडल दिया। गोल्ड मेडल पाने वाली वह देश की इकलौती बहादुर थी। नौ फरवरी 2015 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रानी लक्ष्मीबाई के नाम से शुरू होने वाला पहला अवॉर्ड रेशम को देकर उसके हौसले की दाद दी। मामा इरफान अहमद, नाना कबीर अहमद, नानी सरवर के प्यार और दुलार ने उस घटना को उसके जेहन से ही मिटा दिया।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com