रूस के अहम मिसाइल परीक्षण केंद्र में पिछले हफ्ते हुए हादसे से कई सवाल खड़े हो गए…

रूस के अहम मिसाइल परीक्षण केंद्र में पिछले हफ्ते हुए हादसे से कई सवाल खड़े हो गए हैं। अमेरिकी खुफिया अधिकारी विस्फोट के कारण और प्रकार को लेकर जानकारियां जुटाने में लगे हैं। हमले को लेकर रूस की ओर से आए अलग-अलग तरह के बयानों ने संदेह को और हवा दी है। अंदेशा यह भी है कि हादसा उससे कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है, जितना बताया जा रहा है।

रेडिएशन मात्र इतना ही…

रूस के मिसाइल परीक्षण केंद्र में विस्फोट गुरुवार को हुआ था। इसमें सात लोगों के मारे जाने की बात सामने आई है। हादसे के तुरंत बाद रूस की सेना के हवाले से बयान आया था कि परीक्षण के दौरान एक तरल ईंधन वाले रॉकेट इंजन में विस्फोट से आग लग गई। हालांकि परीक्षण केंद्र से करीब 25 मील दूर स्थित शहर सेवेरोविंस्क के स्थानीय प्रशासन ने इससे इतर बात बताई। अधिकारियों के मुताबिक, विस्फोट के बाद कुछ जगहों पर रेडिएशन की मात्र 200 गुना तक बढ़ी हुई दर्ज हुई। शनिवार को रूस की परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटोम के बयान में पहली बार विस्फोट में परमाणु ईंधन की बात सामने आई।

स्थानीय लोगों में संशय

सरकार के अनिश्चित बयानों से स्थानीय लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है। रेडिएशन बढ़ने की बातें सामने आते ही लोगों ने आयोडीन की खरीद शुरू कर दी। रेडिएशन के प्रभाव से शरीर को बचाने में आयोडीन सहायक होता है। रूस के पूर्व नौसेना अधिकारी अलेक्जेंडर के. निकितिन ने कहा, ‘जानकारियों को सामने लाना चाहिए। लोगों को पता चलेगा तो वे बचाव के कदम उठा सकेंगे। हालांकि ऐसा हो नहीं रहा है।’

खास हथियार बना रहा है रूस

अमेरिका से हथियारों की होड़ में लगा रूस इन दिनों एक खास मिसाइल बनाने में जुटा है। 2018 में राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पुतिन ने इस मिसाइल को लेकर एक एनिमेटेड वीडियो भी साझा किया था। इस मिसाइल को एक छोटे परमाणु संयंत्र से ऊर्जा मिलेगी। रूस का दावा है कि यह मिसाइल दुनिया के किसी भी कोने में निशाना साध सकती है। यह मिसाइल अपना रास्ता इतने अप्रत्याशित तरीके से तय करेगी और पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में इतनी कम ऊंचाई से निकलेगी कि अमेरिका की मिसाइलरोधी प्रणाली के लिए इसे पकड़ना संभव नहीं होगा।

दूसरा बड़ा परमाणु हादसा

पिछले हफ्ते हुआ हादसा रूस का दूसरा बड़ा परमाणु हादसा है।पहले हादसे की तुलना में यह बहुत छोटा है। पहला हादसा 1986 में चेनरेबिल के परमाणु संयंत्र में हुआ था। इसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी।

अमेरिकी अधिकारी सतर्क

रूस के अलग-अलग बयानों और सेटेलाइट से मिली तस्वीरों ने इस ओर अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया है। अमेरिकी अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश में हैं कि कहीं विस्फोट उस खास हथियार को बनाने की कोशिश के दौरान तो नहीं हुआ है, जिसकी तारीफ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की थी।

अमेरिकी अधिकारियों ने विस्फोट के बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। हालांकि अमेरिकी और यूरोपीय खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि इस विस्फोट से नए हथियार विकसित करने के रूस के प्रयासों को झटका लग सकता है। इससे रूस की कोशिशों में तकनीकी खामी का भी पता चल सकता है।

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