‘राजनीतिक दलों को नोटबंदी के नियमों के उल्लंघन की छूट नहीं’

money-shimla_1480002343सरकार ने कहा है कि राजनीतिक दलों को नोटबंदी और 15 दिसंबर को लागू आयकर संशोधन अधिनियम 2016 के बाद कोई छूट हासिल नहीं है। ये दल अब पुराने 500 और 1000 के नोट स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि अब ये कानूनी करेंसी नहीं रह गए हैं।
 वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को एक बयान में कहा कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 13 के तहत राजनीतिक  दलों को अपने ऑडिट किए हुए बही-खातों, आय और व्यय ब्योरा और बैलेंस शीट पेश करनी होती है।
नोटबंदी के बाद कोई भी राजनीतिक पार्टी 500 और 1000 के नोट दान के तौर पर स्वीकार नहीं कर सकती क्योंकि ये अब कानूनी करेंसी नहीं रह गए हैं। किसी भी राजनीतिक दल का ऐसा करना कानून का उल्लंघन होगा। 

राजनीतिक दलों से पूछताछ कर सकते है आयकर कर्मचारी

जेटली ने कहा कि किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह राजनीतिक दल भी 30 दिसंबर तक पुराने 500 और 1000 के नोट जमा कर सकते हैं। बशर्ते वे आय के स्त्रोत और 8 नवंबर से पहले अपने खाते में मौजूद रुपयों के बारे में संतोषजनक जवाब दे सकें।
अगर राजनीतिक दलों के खातों के ब्योरे उसके दावे से मेल नहीं खाते तो आयकर अधिकारी आम लोगों की तरह ही उनसे भी पूछताछ कर सकते हैं। राजनीतिक दलों को इस संबंध में बने कानून से कोई छूट नहीं है। वित्तमंत्री ने पत्रकारों से विनती करते हुए कहा कि अगर सरकार का कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ न हो तो वे गुस्सा जाहिर कर सकते हैं। लेकिन मेरा कहना है कि वे सरकार के कदम पर तुरंत निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले पूरी रिसर्च कर लें।
आयकर संशोधन अधिनियम के बारे में उन्होंने कहा आज के तुरंत गुस्से के दौर में एनडीए सरकार ने 35 साल एक पुराने कानून को नए सिरे से संसद में पारित किया है। वित्तमंत्री ने कहा राजनीतिक दलों को दिया जाने वाला दान या चंदा आयकर अधिनियम 1961 की धारा 13 के तहत आता है। उन्होंने अन्य राजनीतिक दलों से नरेंद्र मोदी के उदाहरण से सबक लेने की अपील है और कहा है कि वे भी अपने सांसदों और विधायकों को नोटबंदी के बाद अपने बैंक खातों का ब्योरा पेश करने को कहें। 
 
 

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